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कोरोना संक्रमण मुक्त: मध्य प्रदेश में गाय के गोबर से 'सैनिटाइज' हो रहे पक्के घरों के आंगन

गाय के गोबर से बने सूखे कंडे में 28 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। जब इसे यज्ञ के दौरान प्रज्वलित किया जाता है तब ऑक्सीजन का स्तर 48 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। आहुति में गाय का घी डाला जाता है तब ऑक्सीजन स्तर 61 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 12:17 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 12:17 AM (IST)
कोरोना संक्रमण मुक्त: मध्य प्रदेश में गाय के गोबर से 'सैनिटाइज' हो रहे पक्के घरों के आंगन
पक्के घरों के प्रवेश द्वार और आंगन में गोबर का लेपन किया जा रहा है।

युवराज गुप्ता, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में बसा बुरहानपुर अब पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहा है। इन दिनों यहां पक्के घरों के प्रवेश द्वार और आंगन में गोबर का लेपन किया जा रहा है, ताकि लोग गुजरें, तो खुद भी संक्रमण मुक्त हों और परिसर भी संक्रमण से मुक्त रहे। इसके लिए गोबर का इंतजाम भी हो गया है। खड़कोद में स्थापित गो-विज्ञान केंद्र गोबर का पाउडर बनाकर लोगों को उपलब्ध करा रहा है, ताकि पानी या गोमूत्र में मिलाकर जब चाहें, वे इसका प्रयोग कर सकें। फिलहाल गो-विज्ञान केंद्र में छोटी चक्कीनुमा मशीन में सूखे उपलों को पीस कर गोबर पाउडर बनाया जा रहा है। एक माह में काऊ डंग डीवॉटरिंग एंड पाउडर प्लांट (गाय के गीले गोबर को पानी निकालकर सूखे पाउडर में बदल देने वाला संयंत्र) लगाया जाएगा। पांच लाख रुपये की लागत वाले इस प्लांट से बड़े पैमाने पर गीले गोबर से तरल अलग कर गोबर को तुरंत सुखाकर पाउडर बनाया जाएगा, जिसे शहरी क्षेत्र के घरों के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा। प्राकृतिक चिकित्सकों के अनुसार गाय के गोबर का लेपन करने से वह जगह कई प्रकार के रोगाणुओं से मुक्त हो जाती है।

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दक्षिण भारत की तर्ज पर आंगन लीप कर रंगोली व मांडने बना रहे लोग

ग्राम खड़कोद के श्रीराम गुरुकुल गो-विज्ञान केंद्र के प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. सचिन पाटिल बताते हैं, लॉकडॉउन के पहले दक्षिण भारत में भ्रमण के दौरान वहां बड़े संभ्रांत परिवारों के यहां गाय के गोबर से लीपने और रंगोली व मांडने बनाने की परंपरा देखी। तब लगा कि सिर्फ गांवों के मकान ही नहीं, गाय के गोबर का इस्तेमाल पक्के घरों में भी लेपन के लिए किया जा सकता है। इसके बाद बुरहानपुर में भी यह प्रयोग शुरू किया। हमने यहां की गोशाला में रोजाना निकलने वाले गाय के गोबर का जैविक पावडर तैयार किया जाता है, जिसे पानी में मिलाते ही लिपाई व मांडने बनाने के लिए यह तैयार हो जाता है। फिलहाल यह कम मात्रा में बन पा रहा है लेकिन कुछ समय में ही इसका बड़े स्तर पर उत्पादन कर रियायती दर पर लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।

सुगंधित द्रव्य मिलाकर बनाएंगे गोबर पाउडर

सुगंधित पदार्थ मिलाकर गोबर के सूखे पाउडर को सुगंधित बनाया जाएगा और एक-एक किलो के पैकेट बनाकर उन्हें लागत मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा।

ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाती है गाय के गोबर से दी गई आहुति

पर्यावरणविदों के अनुसार गाय के गोबर से बने सूखे कंडे में 28 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। जब इसे यज्ञ के दौरान प्रज्वलित किया जाता है, तब ऑक्सीजन का स्तर 48 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। साथ ही आहुति में गाय का शुद्घ घी डाला जाता है, तब ऑक्सीजन स्तर 61 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इसमें जड़ी-बूटियों के साथ ही कपूर व इलायची के उपयोग से रोगाणुओं के संक्रमण को भी कम किया जा सकता है।

गाय के गोबर से घर-आंगन में लिपाई करने से वातावरण शुद्ध होता है 

गाय के गोबर से घर-आंगन में लिपाई करना शास्त्रों में भी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और परिसर संक्रमण मुक्त हो जाता है- योगेश चतुर्वेदी, पर्यावरणविद, बुरहानपुर, मध्य प्रदेश।


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