छत्तीसगढ़ में न्याय की राह में कोरोना का रोड़ा, कोर्ट में साढ़े तीन लाख से अधिक मामले लंबित
कोरोना के कारण न्यायालयों के लंबित मामलों की संख्या बढ़ गई है। उच्च न्यायालय जिला व अधीनस्थ न्यायालयों के प्रकरणों को मिलाकर राज्य में साढ़े तीन लाख से अधिक मामले अटके पड़े हैं। ऐसे में लाखों आंखें न्याय के इंतजार में हैं।
आकाश शुक्ला, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना के कारण न्यायालयों के लंबित मामलों की संख्या काफी बढ़ गई है। स्थिति यह है कि उच्च न्यायालय, जिला व अधीनस्थ न्यायालयों के प्रकरणों को मिलाकर राज्य में साढ़े तीन लाख से अधिक मामले अटके पड़े हैं। ऐसे में लाखों आंखें न्याय के इंतजार में हैं।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में 73 हजार 573 मामले लंबित
विधि और न्याय मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में 73 हजार 573 मामले लंबित हैं। इनमें से 45,589 सिविल और 27,984 दांडिक प्रकरण हैं। इसी तरह राज्य के जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में कुल दो लाख 85 हजार 652 मामले लंबित हैं। इनमें से 56 हजार 979 सिविल और दो लाख 28 हजार 673 दांडिक प्रकरण हैं।
देश की 25 उच्च न्यायालयों में 51,52,921 मामले लंबित
देश की बता करें तो 25 उच्च न्यायालयों में 51,52,921 मामले, देशभर के जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में 3,44,73,068 मामले लंबित हैं। ये सभी आंकड़े 16 सितंबर 2020 तक के हैं। कानून के जानकारों के मुताबिक कोरोना काल में सुनवाई प्रभावित होने से लाखों लोगों को समय पर न्याय से वंचित होना पड़ा। वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मुताबिक अकेले रायपुर जिले में सभी तरह के प्रकरण मिलाकर लगभग 1000 प्रकरणों पर सुनवाई प्रतिदिन होती थी, जो अब पूरी तरह से प्रभावित है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में 23 बेंच, लेकिन 14 बेंच ही कर रहीं सुनवाई
23 की जगह 14 बेंच ही कर रहीं कार्य छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके केसरवानी ने कहा कि कोरोना की वजह से न्यायिक प्रकरणों की सुनवाई प्रभावित तो हुई ही है, लेकिन जरूरत के मुताबिक जजों की नियुक्ति भी न होना बड़ी समस्या है। उच्च न्यायालय में 23 जजों की बेंच है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 14 बेंच ही कार्य कर रही है। यही स्थिति विभिन्न जिलों के कोर्ट में भी देखी गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सीके केसरवानी के सुझाव
1. लंबित प्रकरणों को निपटाने के लिए न्यायालय के कामकाज में तेजी लाने की जरूरत।
2. जजों के खाली पदों पर जल्द से जल्द भर्ती जरूरी।
3. प्रकरणों के निपटारे के लिए जजों को नए सिरे से टारगेट देते हुए दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता।
देश के पांच उच्च न्यायालय, जहां सबसे अधिक मामले लंबित
उच्च न्यायालय - लंबित मामले
इलहाबाद - 7,46,677
पंजाब व हरियाणा - 6,07,069
राजस्थान - 5,07,749
मद्रास - 5,70,262
मध्यप्रदेश - 3,75,630
पांच राज्य, जहां के जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में सर्वाधिक मामले
लंबित राज्य - लंबित मामले
उत्तर प्रदेश - 81,86,410
महाराष्ट्र - 42,21,418
राजस्थान - 17,38,488
कर्नाटक - 17,37,007
गुजरात - 16,94,227
विधि और न्याय मंत्रालय भारत सरकार से जारी आंकड़े 16 सितंबर 2020 तक की स्थिति में।
कोरोना की वजह से सुनवाई में विलंब
कोरोना की वजह से सुनवाई में विलंब हुआ है। नए केस की फाइलिंग रुक गई थी। कोर्ट खुलने पर कई महीनों पहले पेश होने वाले केस अब आ रहे हैं। कोर्ट नियमित होने पर पुराने केस को पहले प्राथमिकता देते हुए सुनवाई करानी होगा। हाई कोर्ट ने भी पुराने केस व अंडर ट्रायल के मामलों को प्राथमिकता देने को कहा है-केके शुक्ला, शासकीय अभिभाषक एवं लोक अभियोजक, जिला-रायपुर न्यायालय।
न्यायालयों में नियमित सुनवाई नहीं हो सकी
कोरोना के कारण पिछले आठ महीने न्यायालयों में नियमित सुनवाई नहीं हो सकी। इसलिए मामले लंबित होते जा रहे हैं। अभी भी सामान्य रूप से सुनवाई नहीं हो पा रही है। जब तक न्यायालय में नियमित सुनवाई पहले जैसी नहीं होगी, तब तक स्थिति ऐसे ही रहेगी-संजय शर्मा, उपाध्यक्ष, स्टेट बार काउंसिल, छत्तीसगढ़।