कोरोना महामारी: 30 फीसद लोगों को नहीं पता मास्क और साबुन के इस्तेमाल का का महत्व
राज्यसभा में बेहद गरीब तबके को कोरोना महामारी से बचाने के लिए मुफ्त में मास्क उपलब्ध कराने की मांग की गई। अशिक्षा और गरीबी के चलते 30 फीसद लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा में बेहद गरीब तबके को कोरोना महामारी से बचाने के लिए मुफ्त में मास्क उपलब्ध कराने की मांग की गई। शून्य काल में सोमवार को इस मुद्दे को उठाते हुए सीपीआइ (एम) सांसद बिनोय विस्वम ने कहा कि साबुन और मास्क का इस्तेमाल कोरोना वायरस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन अशिक्षा और गरीबी के चलते 30 फीसद लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए, फौरी तौर पर इन्हें सुरक्षित करने की आवश्यकता है।
मैला ढोना मानव गरिमा के खिलाफ है, मैला ढोने वालों को सुरक्षा उपकरण तक नहीं उपलब्ध
मैला ढोने के मुद्दे को उठाते हुए टीएमसी (एम) के जीके वासन ने कहा कि यह मानव गरिमा के खिलाफ है। पिछले साल 100 से अधिक लोगों की सीवर की सफाई करते हुए जान चली गई। उन्होंने कड़ा कानून बनाकर इसे पूरी तरह से समाप्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह समाज में भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है। वासन ने कहा कि मैला ढोने वालों को सुरक्षा उपकरण तक नहीं उपलब्ध कराए गए हैं, जिस कारण नाले से निकलने वाली जहरीली गैसों से उनकी जान जा रही है।
कीटनाशकों के छिड़काव से किसानों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा
वहीं, शिवसेना के अनिल देसाई ने फसलों में कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। कहा कि कीटनाशकों के छिड़काव के कुछ प्रचलित तरीके किसानों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। इस साल महाराष्ट्र के कई जिलों में फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करते समय 63 किसानों की मौत हो गई।