देश में 78 हजार से अधिक लोगों की जिंदगी बचाने में सफल रहा लॉकडाउन, जानिए कैसे
सरकार के अनुसार यदि लॉकडाउन लागू नहीं होता तो 15 मई तक देश में कोरोना मरीजों की संख्या 30 लाख को पार कर जाती और इससे मरने वालों का आंकड़ा 81 हजार से अधिक होता।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी का हवाला देते हुए लॉकडाउन पर सवाल उठाने वालों पर सरकार ने आंकड़ों के साथ पलटवार किया है। इसके अनुसार यदि लॉकडाउन लागू नहीं होता तो 15 मई तक देश में कोरोना मरीजों की संख्या 30 लाख को पार कर जाती और इससे मरने वालों का आंकड़ा 81 हजार से अधिक होता। लॉकडाउन के बाद कोरोना की वृद्धि दर में गिरावट का ग्राफ दिखाते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण कोरोना के मरीजों की वृद्धि दर 22.6 फीसदी से कम होते-होते 5.4 फीसदी तक पहुंच गई है।
लॉकडाउन नहीं होता तो 15 मई तक 36 लाख से 70 लाख तक कोरेाना के मरीज होते
कोरोना को रोकने में लॉकडाउन की उपयोगिता बताने के लिए सांख्यिकी व योजना कार्यान्वयन विभाग के सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने विभिन्न विशेषज्ञों की ओर से तैयार मॉडल को सामने रखा। उनके अनुसार बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है कि लॉकडाउन नहीं लगा होता तो 15 मई तक देश में 36 लाख से 70 लाख तक कोरोना के मरीज होते और एक लाख 20 हजार से दो लाख 10 हजार तक लोगों की मौत हो चुकी होती। इसी तरह पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया ने अनुमान लगाया है कि लॉकडाउन देश में 78 हजार से अधिक जान बचाने में सफल रहा है।
23 लाख केस करने और 68 हजार जिंदगी बचाने में सफलता मिली
डॉक्टर शामिका रवि और एम कपूर के अनुसार लॉकडाउन से 23 लाख केस करने और 68 हजार जिंदगी बचाने में सफलता मिली है। वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन से 16 लाख मामले और 51 हजार मौतें कम हुई हैं। यदि इन सभी अनुमान के औसत को लें तो भी लॉकडाउन के कारण देश में 20 लाख कोरोना के मामलों को रोका और 53,773 जिंदगी को बचाया जा सका है।
29 लाख केस कम करने और 78 हजार के बीच जान बचाने में सफल रहे
प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह हम 14 लाख से 29 लाख केस कम करने और 37 हजार से 78 हजार के बीच जान बचाने में सफल रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए बनाई गई उच्चाधिकार प्राप्त ग्रुप-एक के प्रमुख डॉक्टर वीके पॉल के अनुसार लॉकडाउन न सिर्फ कोरोना के केस और मौत को रोकने में सफल रहा है, बल्कि इससे यह देश के कुछ क्षेत्रों तक सीमित रखने में भी सफलता मिली है।
पांच राज्यों तक सीमित है 80 फीसदी मामले
उनके अनुसार कोरोना के 80 फीसदी मामले पांच राज्यों (महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश व दिल्ली) और 90 फीसदी मामले 10 राज्यों (उपरोक्त पांचों के साथ-साथ राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक व बिहार) तक सीमित है। शहरों के हिसाब से देखें को 60 फीसदी मामले सिर्फ पांच शहरों (मुंबई, दिल्ली, थाने, अहमदाबाद व चेन्नई) और 70 फीसदी मामले 10 शहरों (उपरोक्त के अलावा पुणे, इंदौर, कोलकाता, हैदराबाद व औरंगाबाद) में सीमित हैं। इसी तरह के मरने वालों में 80 फीसदी पांच राज्यों, 95 फीसदी 10 राज्यों से हैं। शहरों के हिसाब के पांच शहरों में 60 फीसदी और 10 शहरों में 70 फीसदी मौतें हुई हैं।
लड़ाई को ज्यादा केंद्रित कर छूट का अवसर मिला
डाक्टर वीके पॉल के अनुसार शहरों के भीतर भी जाएं तो अधिकांश मामले कुछ मोहल्ले या एक इलाके तक सीमित मिलेंगे। इससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई को ज्यादा केंद्रित कर लॉकडाउन में छूट देने का अवसर मिला है। मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद जैसे ज्यादा कोरोना के केस वाले इलाके से प्रवासी मजदूरों के वापस जाने से कोरोना के ग्रामीण इलाकों में फैलने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर डाक्टर पॉल ने कहा कि इससे रोकने की कोशिश की जा रही है। इसीलिए प्रवासी मजदूरों को 14 दिन आइसोलेशन पर रखने और उनके कोरोना टेस्ट कराने की व्यवस्था की जा रही है।