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जानें संविधान दिवस का महत्व और 1992 में क्यों मजबूर हुई ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ

26 नवंबर का भारत में खास महत्व है। यह वही दिन है जिस दिन भारत के संविधान को मंजूरी मिली थी। लेकिन ब्रिटेन के लिए भी यह दिन खास है। चलिए जानें...

By Digpal SinghEdited By: Published: Mon, 26 Nov 2018 01:34 PM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 01:50 PM (IST)
जानें संविधान दिवस का महत्व और 1992 में क्यों मजबूर हुई ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ
जानें संविधान दिवस का महत्व और 1992 में क्यों मजबूर हुई ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आज के दिन को भारत में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 नवंबर 1949 के दिन संविधान सभा बैठी थी और डेस्क पर थाप देते हुए संविधान निर्माताओं द्वारा बनाए गए संविधान के ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बन गया।

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संविधान दिवस क्या है?
संविधान दिवस यानी अंग्रेजी में कॉन्स्टीट्यूशन डे हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है। हालांकि पिछले 10 सालों में 26 नवंबर का दिन 2008 Mumbai attacks की बरसी के रूप में याद किया जाता है। लेकिन 26 नवंबर का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन 1949 को भारत के संविधान को मंजूरी मिली थी। इसके बाद ही देश में संविधान लागू हुआ और आज भी उसी संविधान के अनुसार देश का कामकाज चलता है।

संविधान सभा के सभापति के तौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान के मसौदे को पेश करने से पहले जोरदार भाषण दिया। उन्होंने पहले महात्मा गांधी को नमन किया और कहा, मुझे उम्मीद है कि इस संविधान के साथ भविष्य में जिन लोगों को काम करने का सुवअवसर प्राप्त होगा वे याद रखेंगे कि यह एक खास तरह जीत है, जिसे राष्ट्रपिता के मार्गदर्शन में हासिल किया गया है। अब यह हमपर है कि हम अपनी आजादी को कैसे सजेह और सुरक्षित रखेंगे, जिसे बड़े जतनों से हासिल किया गया है।

संविधान पास होने के बाद इस ऐतिसाहिक संविधान सभा का समापन राष्ट्रगान 'जन गण मन' के साथ हुआ। खास बात यह थी कि यह राष्ट्रगान वरिष्ठ और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी रहीं पूर्णिमा बनर्जी ने गाया था। बता दें कि पूर्णिमा स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली की बहन थीं।

66 साल बाद मनाया गया संविधान दिवस
साल 2015 में देश को आजाद हुए 68 साल और संविधान को मंजूरी मिले 66 साल पूरे हुए। केंद्र सरकार ने एक गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की मंजूरी दी। हालांकि अन्य राष्ट्रीय पर्वों की तरह इस दिन अवकाश नहीं होता। लेकिन विचारणीय प्रश्न यह भी है कि इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मान्यता देने में भारत जैसे लोकतंत्र को 66 साल क्यों लगे? केंद्र सरकार के अनुसार यह दिवस संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को एक तरह से श्रद्धांजलि भी है।

लोकतंत्र की खूबसूरती
लोकतंत्र की बात हुई है तो आप जानते ही हैं कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी कहा जाता है। यह भारतीय लोकतंत्र की ही खूबसूरती है कि पूर्व में चाय बेचने वाला एक शख्स (नरेंद्र मोदी) आज देश का प्रधानमंत्री है। यह लोकतंत्र की ही खासियत है कि देश पर आपातकाल थोपने के बाद जब चुनाव हुए तो जनता ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया। यही नहीं जब गैर कांग्रेसी दल सरकार नहीं चला पाए तो एक बार फिर इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं।

भारत की ही तरह ब्रिटेन भी एक गणतंत्र है और यहां भी लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं। हालांकि जिस तरह से भारत में राष्ट्रपति के पास सारी शक्तियां निहित हैं और उनके नाम पर ही प्रधानमंत्री व मंत्रिमंडल सरकार का संचालन करते हैं, उसी अनुसार ब्रिटेन में रानी का महत्व है। ब्रिटेन में रानी के नाम पर प्रधानमंत्री व मंत्रिमंडल सरकार चलाते हैं। ब्रिटेन में शाही परिवार को कई शक्तियां मिली हैं। लेकिन यहां भी लोकतंत्र की खूबसूरती देखने को मिलती है, जब 1992 में ब्रिटेन की संसद ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। इस फैसले के अनुसार महारानी एलिजाबेथ को अपनी आय पर टैक्स देने के लिए मजबूर होना पड़ा।


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