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बैंकिंग घोटाले: एनपीए पर सवाल पूछना कांग्रेस के लिए पड़ सकता है भारी

हाल के दिनों में सबसे ज्यादा प्रचारित नीरव मोदी की तरफ से घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी। वर्ष 2017 तक यह घोटाला चलता रहा।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 08:36 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 10:39 PM (IST)
बैंकिंग घोटाले: एनपीए पर सवाल पूछना कांग्रेस के लिए पड़ सकता है भारी
बैंकिंग घोटाले: एनपीए पर सवाल पूछना कांग्रेस के लिए पड़ सकता है भारी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी तक के मामले में कांग्रेस भले ही राजग सरकार से सवाल पूछ रही हो, लेकिन जवाब खुद कांग्रेस को ही देना पड़ सकता है। जांच एजेंसियों को अभी तक जो सबूत मिल रहे हैं, उससे यही लगता है कि देश को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले इन उद्योगपतियों ने अपने गोरखधंधे की नींव यूपीए के कार्यकाल में ही डाल दी थी।

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यूपीए के कार्यकाल में कई वर्षों तक बेरोकटोक धांधली करने के बाद इनके कारनामों का पर्दाफाश अब जा कर हो पाया है। अब किंगफिशर एयरलाइन के मालिक विजय माल्या को ही देखे तो इनकी कंपनी के खिलाफ अभी तक जो सबूत मिले हैं उसके मुताबिक, इन्होंने नवंबर, 2009 से बैंकों से लिए गये कर्जे में हेरा फेरी शुरू कर दी थी। 29 जुलाई, 2015 में इनके खिलाफ एफआइआर हुई और अभी इन्हें लंदन से लाने की प्रक्रिया चल रही है। विजय माल्या के मामले में बैंक के अधिकारियों समेत नौ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि ब्रिटेन में इनकी 17 परिसंपत्तियां और अमेरिका में एक परिसंपत्ति जब्त की जा चुकी है।

पिछले दिनों वित्त मंत्रालय में बड़े एनपीए मामलों व बैंकिंग फ्राड को लेकर जांच एजेंसियों की तरफ से उठाये गये कदमों की समीक्षा की गई है। इसमें बताया गया है कि विजय माल्या की कंपनी को एसबीआइ कंसोर्टियम की तरफ से दिए गए कर्ज की राशि में गबन के मामले में अभी तक 4234 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया है। यह पूरा मामला वर्ष 2005 में शुरू हुआ था, जब किंगफिशर को कर्ज दिया गया था। विजय माल्या ने देश के बैंकों को कुल 11,991.63 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। इसी तरह से हाल ही में सामने आये विक्रम कोठारी मामले की शुरुआत भी वर्ष 2009 में हुई थी। 2919 करोड़ रुपये के इस घोटाले में अभी तक कंपनी के दो बड़े प्रवर्तकों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

हाल के दिनों में सबसे ज्यादा प्रचारित नीरव मोदी की तरफ से घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी। वर्ष 2017 तक यह घोटाला चलता रहा। 31 जनवरी, 2018 को कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है, जिसके बाद अभी तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। घोटाले को अंजाम देने वाले उद्योगपति नीरव मोदी की कंपनी व बैंक कर्मचारियों के 14 बैंक खातों को भी जब्त किया जा चुका है। नीरव मोदी के संबंधी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि समूह की तरफ से भी जो घोटाला किया गया है उसकी शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी। इस मामले में पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है। दोनों मामलों में 7332 करोड़ रुपये के स्टाक जब्त किये गये हैं। एक अन्य बैंकिंग घोटाला द्वारका दास सेठ इंटरनेशनल का है, जिसके खिलाफ 22 फरवरी, 2018 को एफआइआर दर्ज किया गया है। इस कंपनी ने 389 करोड़ रुपये का कर्ज वर्ष 2007 में लिया था। जांच एजेंसियों ने वित्त मंत्रालय को बताया है कि जनवरी, 2018 के बाद से तकरीबन आठ बैंकिंग घोटाले की जांच शुरू की गई है। इन सभी में बैंकों के तकरीबन 34,141 करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है।


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