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कब उतरेगी कोरोना की दूसरी लहर..! इसके समय को लेकर असमंजस, विशेषज्ञों के अलग अलग दावे

कोरोना की दूसरी लहर देश में कहर बरपा रही है। अभी तक कोई भी यह दावा करने को तैयार नहीं है कि संक्रमित मरीजों की संख्या कब पीक पर पहुंचेगी और कब नीचे आनी शुरू होगी। इसे लेकर विशेषज्ञ तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 08:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 12:04 AM (IST)
कब उतरेगी कोरोना की दूसरी लहर..! इसके समय को लेकर असमंजस, विशेषज्ञों के अलग अलग दावे
अभी तक कोई यह दावा करने को तैयार नहीं है कि संक्रमित मरीजों की संख्या कब नीचे आनी शुरू होगी।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर देश में उफान पर है। संक्रमित मरीजों की संख्या में रोजाना वृद्धि की रफ्तार तीन लाख के आंकड़े को बस पार करने ही वाली है। ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि अभी तक कोई भी यह दावा करने को तैयार नहीं है कि संक्रमित मरीजों की संख्या कब पीक पर पहुंचेगी और कब नीचे आनी शुरू होगी। इसे लेकर विशेषज्ञ तरह-तरह के दावे कर रहे हैं।

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सफदरजंग अस्पताल का यह है दावा

नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल अपने अध्ययन के आधार पर दावा कह रहा है कि इसी महीने के अंत तक ही संक्रमण उच्चतम स्तर (पीक) पर होगा। एम्स, दिल्ली के निदेशक डा.रणदीप गुलेरिया भी ऐसा ही मानते हैं लेकिन आइआइटी कानपुर के कुछ विशेषज्ञों का अध्ययन कहता है कि मई, 2021 के मध्य तक ऐसा हो पाएगा। यानी लगभग 15 मई तक कोरोना के मामलों में वृद्धि होती रहेगी।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार ने कही यह बात

वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने दावा किया है कि 15 मई तक उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या घटने लगेगी।

कब उतरेगी दूसरी लहर सरकार भी नहीं बता रही

इस बीच सरकार भी इस बारे में कोई अनुमान नहीं लगा पा रही है। बुधवार को जब यह सवाल इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव से पूछा गया तो उनका जवाब था कि अभी हम दूसरी लहर के संक्रमण के बीच में हैं। संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। डाउनटर्न (नीचे की तरफ) कब तक होगा अभी हम कह नहीं सकते। पहले के अनुभवों के आधार पर हम सभी राज्यों और केंद्र सरकार के साथ मिल कर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं।

इसलिए अनुमान लगाने में आ रही समस्‍या

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से गठित उच्चस्तरीय समिति की बैठक में लगातार यह मुद्दा उठ रहा है। दूसरे मंत्रालय, राज्य सरकारें और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी इस बारे में सरकार का अनुमान जानना चाहते हैं। पिछली बैठक में इस तरह के विमर्श पर बताया गया कि देश के अलग अलग राज्यों में कोरोना संक्रमण के अलग-अलग अनुभव हैं। इसलिए अनुमान लगाने में दिक्कत आ रही है।

कोरोना को लेकर कोई दावा सटीक नहीं

उदाहरण के तौर पर अभी ज्यादातर मामले महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों से आ रहे हैं। दूसरी तरफ अभी तमिलनाडु व कर्नाटक से अपेक्षाकृत कम मामले आ रहे हैं। हो सकता है कि इन राज्यों आने वाले दिनों में मामले बढ़ जाएं। इसी तरह से बंगाल और बिहार जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों से जो संकेत आ रहे हैं वो बहुत अच्छे नहीं है। पूर्व में यह देखा गया है कि केरल में संक्रमण के मामलों में तेजी से कमी हुई लेकिन बाद में मामला हाथ से निकल गया।

क्‍या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय अनुभव

अगर अंतरराष्ट्रीय अनुभवों की बात करें तो अमेरिका में पहले चरण में कोरोना को मामलों को उच्चतम स्तर पर पहुंचने में तीन महीने (मार्च से मई, 2020) का समय लगा था लेकिन वहां जून व जुलाई 2020 में फिर तेजी से संक्रमण का फैलाव हुआ था। तकरीबन समूचे यूरोपीय देशों में कोरोना की तीन लहर आ चुकी हैं। हर लहर दो से तीन महीने में उच्चतम स्तर (पीक) पर पहुंची है। 


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