चीन से लद्दाख में शुरू हुए सीमा पर तनाव के बाद डोकलाम विवाद को भूल जाएंगे लोग- एक्सपर्ट व्यू
चीन का भारत से लगती सीमा पर आक्रामक रुख लगातार जारी है। इसको देखते हुए पूर्व मेजर जनरल जैनी मानते हैं कि मौजूदा विवाद डोकलाम से कहीं लंबा जाने वाला है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। चीन से लगातार सीमा पर बने तनाव के चलते भारत बीते तीन माह से तैयारियों में जुटा हुआ है। राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी भी इसकी ही एक कड़ी है। इसके बाद भी सीमा पर चीन का आक्रामक रुख जस का तस बना हुआ है। गलवन घाटी में 15-16 जून की रात चीन और भारतीय जवानों के बीच हुई जानलेवा झड़प के बाद चीन की तरफ से सीमा पर लगातार आक्रामकता बरती जा ही है। भारत से लगती सीमा पर उसने अपने जवानों की तादाद बढ़ा दी है और सीमा के नजदीक अपनी एयरफील्ड पर भी अपनी स्क्वार्डन की तैनाती की हुई है। इसमें काशगर, होतान और कारगुंजा है। इन तीनों में भारतीय सीमा के सबसे करीब कारगुंजा एयरफील्ड ही है। चीन का जो रुख है उसको देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ये विवाद डोकलाम से कहीं लंबा जाने वाला है।
इस बाबत पूर्व मेजर जनरल एजेबी जैनी ने दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में कहा कि चीन मानने वाले देशों में नहीं है इसलिए ये विवाद डोकलाम से कुछ दिन नहीं बल्कि महीनों लंबा जाने वाला है। उन्होंने चीन की पूर्व की नीतियों पर प्रकाश डालते हुए ये भी बताया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 12 नवंबर 2012 को जिस दिन पदभार ग्रहण किया था उस वक्त वो सबसे पहले चीन के ऐतिहासिक संग्रहालय में गए थे। इस संग्रहालय में चीन का सैकड़ों वर्षों पुराना इतिहास मौजूद है। यहां पर उन्होंने अपने पूर्वजों को साक्षी मानकर सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वो चीन को विश्व की एकमात्र महाशक्ति बनाएंगे। इसके बाद से ही वो इसी नीति पर काम कर रहे हैं। जहां तक चीन की बात है तो सात दशक पहले चीन आज की तुलना में दसवां हिस्सा ही था।। लेकिन अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते उसने धीरे-धीरे अपने पड़ोसी देशों के सीमावर्ती इलाकों को हथियाने के अलावा तिब्बत के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया और भारत की सीमा के निकट पहुंच गया।
आपको बता दें कि चीन का वर्तमान में अपने सभी पड़ोसी देशों से सीमा विवाद है। इसकी बड़ी वजह वो खुद ही है। रिटायर्ड मेजर जनरल जैनी ने बताया कि चीन अपने रक्षा बजट में कटौती कर ये दिखाने की कोशिश करता रहा है कि वो हथियारों और सीमाओं को बढ़ाने की होड़ में शामिल नहीं है। लेकिन उसकी सूरत और सीरत में जमीन आसमान का फर्क है। उनके मुताबिक उस वकत भी ये बात कही गई थी कि जिस वक्त चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाएगी चीन का आक्रामक रुख भी वापस आ जाएगा। वर्तमान में जो चीन से तनाव है वो इसका एक जीता जागता सुबूत है। उन्होंने बताया कि 1994 में अपने एक पेपर में भी उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि चीन की अर्थव्यस्था मजबूत होते ही वो पूरी ताकत के साथ अपनी सैन्य क्षमता को आगे बढ़ाने में कोर-कसर नहीं छोड़ेगा।
उन्होंने कहा कि चीन का ये इतिहास रहा है कि वो चार कदम आगे आते हैं और फिर अपना एक कदम पीछे खींच लेते हैं। लद्दाख में गलवन वैली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर-8 के ऊपर उत्तर से लेकर दक्षिण तक जाती है। उनके मुताबिक चीन ने अपने जवान को फिंगर-5 पर लाकर बैठा रखा है। फिंगर-4 पर वो पहले नहीं था लेकिन अब है और यहां की चोटियों की ऊंचाई उसका साथ दे रही हैं। यहां पर उसने बंकर बनाए हुए हैं और अपनी आर्टिलरी को भी इस इलाके में तैनात किया हुआ है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि गलवन में हुई झड़प में अपने कई सैनिकों को खोने के बाद वो वहां से पीछे चला गया। लेकिन पेट्रोलप्वाइंट 9-10 पर उसकी मौजूदगी पहले की ही तरह बरकरार है। ये सभी उसकी उस मंशा को साफ करता है जो विश्व की अकेली महाशक्ति बनने की है। इसलिए ही चीन के साथ शुरू हुआ मौजूदा विवाद काफी लंबा जाने वाला है।
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