सेनेटरी पैड्स, कंडोम और डायपर के साथ अब मिलेंगे डिस्पोजल पाउच
कंडोम, डायपर, सेनेटरी पैड और कॉटन पैड्स जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को अब उनके साथ रैपर या पाउच भी देने होंगे।
नई दिल्ली। कंडोम, डायपर, सेनेटरी पैड और कॉटन पैड्स जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को अब उनके साथ रैपर या पाउच भी देने होंगे। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इन उत्पादों के इस्तेमाल के बाद ठीक तरह से उनको निपटाने के लिए मंगलवार को यह निर्देश जारी किया गया है।
ठोस कचरे के प्रबंध के लिए मंत्रालय की ओर से इस प्रावधान को मंगलवार से ही अनिवार्य कर दिया। हालांकि, स्थानीय निकायों को ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए छह महीने की समय सीमा दी गई है। वहीं, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को दो साल के भीतर ठोस कचरे के प्रोसेसिंग संयंत्र भी स्थापित करने होंगे।
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नए नियमों के तहत कंपनियों, ब्रैंड के मालिकों और मार्केटिंग कंपनियों से उम्मीद की गई है कि वे इन उत्पादों के सही तरह से डिस्पोजल के तौर तरीकों के बारे में आम लोगों को शिक्षित करेंगे। नए नियम पूरे देश में स्थानीय निकायों द्वारा लागू किए जाएंगे।
स्थानीय निकायों को बड़े पैमाने पर इस तरह का कचरा पैदा करने वालों से 'यूजर फी' चार्ज करने का अधिकार भी दिया गया है। इसके साथ ही इस तरह के कचरे को इधर-उधर फैलाने पर जुर्माना लगाने का अधिकार भी स्थानीय निकायों को दिया गया है।
'सेनेटरी वेस्ट' की श्रेणी में 'डायपर्स, सेनेटरी टॉवेल या नैपकिन, कॉटन पैड्स, कंडोम और इसी तरह के दूसरे कचरों' को शामिल किया गया है। डायपर्स, कंडोम और सैनिटरी पैड्स खुले पड़े हों, तो कचरा बीनने वाले उन्हें उठाने में हिचकते हैं। इसी को लेकर सरकार ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।