Move to Jagran APP

देश में बुजुर्गो की स्थिति चिंताजनक, दीर्घकालिक बीमारी जूझ रहे 75 फीसद उम्रदराज

देश में वृद्ध होती जनसंख्या के स्वास्थ्य आर्थिक तथा सामाजिक दशाओं पर केंद्रित इस रिपोर्ट की मानें तो देश में 75 फीसद उम्रदराज लोग दीर्घकालिक बीमारी से जबकि 40 फीसद बुजुर्ग किसी न किसी तरह की अपंगता से जूझ रहे हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 10:54 AM (IST)
देश में बुजुर्गो की स्थिति चिंताजनक, दीर्घकालिक बीमारी जूझ रहे 75 फीसद उम्रदराज
सरकार को ठोस नीति के तहत बुजुर्ग आबादी की सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

नई दिल्ली, सुधीर कुमार। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा जारी ‘लांगिट्यूडनल एजिंग स्टडीज इन इंडिया’ सर्वेक्षण-रिपोर्ट के मुताबिक देश में बुजुर्गो की स्थिति चिंताजनक है। देश में वृद्ध होती जनसंख्या के स्वास्थ्य, आर्थिक तथा सामाजिक दशाओं पर केंद्रित इस रिपोर्ट की मानें तो देश में 75 फीसद उम्रदराज लोग दीर्घकालिक बीमारी से, जबकि 40 फीसद बुजुर्ग किसी न किसी तरह की अपंगता से जूझ रहे हैं। वहीं 20 फीसद से अधिक लोग मानसिक बीमारी से परेशान हैं। साढ़े चार करोड़ बुजुर्गो में दिल की बीमारी और हाइपरटेंशन की समस्या है, जबकि दो करोड़ बुजुर्ग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसी तरह 24 फीसद बुजुर्गो को चलने, बैठने और शौचालय जाने जैसे रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत महसूस होती है।

loksabha election banner

2011 की जनगणना के अनुसार देश की आबादी का करीबन साढ़े आठ फीसद हिस्सा उम्रदराज लोगों का था। गौरतलब है कि बुजुर्गो की संख्या में हर साल तीन फीसद की वृद्धि हो रही है। इस हिसाब से देखें तो अगले तीस वर्षो में भारत में केवल बुजुर्गो की संख्या 32 करोड़ तक पहुंच जाएगी। बुजुर्गो की सुरक्षा और परवरिश हमारी व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारी है, लेकिन विडंबना ही कहेंगे कि देश में बुजुर्गो का एक तबका ऐसा भी है जो या तो अपने घरों में तिरस्कृत एवं उपेक्षित जीवन जी रहा है या वृद्धाश्रमों में अपनी शेष जिंदगी बेबसी के साए में बिताने को मजबूर है! इस बीच समाज में बुजुर्गो पर होने वाले मानसिक और शारीरिक अत्याचार के बढ़ते मामलों की तेजी ने भी चिंता बढ़ा दी है। बुजुर्ग जिस सम्मान के हकदार हैं, वह उन्हें नसीब नहीं हो पा रहा है। यही उनकी पीड़ा की मूल वजह है। जिस गति से देश में बुजुर्गो के मान-सम्मान में कमी आई है, वह हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के अवमूल्यन को परिलक्षित करती है।

इस सर्वे का मकसद भारत के 60 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 10 करोड़ लोगों के एजिंग पैटर्न और उन्हें होने वाली बीमारियों को ठीक से समझना था। इस रिपोर्ट से जाहिर होता है कि देश में बुजुर्गो की सेहत ठीक नहीं है। आज हमारी ‘आधुनिक’ जीवनशैली ऐसी हो गई है कि शारीरिक श्रम और व्यायाम से दूरी बन जाती है। यह जीवनशैली 50 वर्ष की आयु के बाद कई बीमारियों को आमंत्रण देती है। इसके कारण प्रौढ़ जीवन व्यतीत करना कठिन हो जाता है। बहरहाल वृद्ध होती जनसंख्या एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन तेजी से वृद्ध होती आबादी कई संकट भी पैदा करती है। गौरतलब है कि साल 2050 तक दुनिया में 60 वर्ष और उससे ऊपर के बुजुर्गो की आबादी दो अरब से ज्यादा हो जाएगी जो 2017 में आधी यानी एक अरब थी। एक अध्ययन में कहा गया कि 2050 तक आज का युवा भारत तब ‘बूढ़ा’ हो जाएगा। सरकार को ठोस नीति के तहत बुजुर्ग आबादी की सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.