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केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा- भारत में बढ़ती ऊर्जा मांग को लेकर अमेरिका और रूस में होड़

अमेरिका व रूस में यह होड़ इसलिए है कि भारत अपनी जरूरत का 83 फीसद क्रूड व गैस आयात से पूरी करता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 11:42 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा- भारत में बढ़ती ऊर्जा मांग को लेकर अमेरिका और रूस में होड़
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा- भारत में बढ़ती ऊर्जा मांग को लेकर अमेरिका और रूस में होड़

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका और रूस के बीच भारत को सिर्फ हथियार बेचने की ही होड़ नहीं है बल्कि इन दोनो देशों के बीच भारत को ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा स्त्रोतों को बेचने को लेकर भी प्रतिस्पर्धा चल रही है। भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को देखते हुए अमेरिका जहां अपने क्रूड और शेल गैस के लिए यहां बड़ा बाजार देख रहा है, वहीं रूस अपने पूर्वी हिस्से के तेल व गैस क्षेत्र में भारत को ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी बेचने की पेशकश कर रहा है।

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बुधवार को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान के साथ रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी पी त्रुतनेव की मुलाकात में रूस के पूर्वी हिस्से में तेल व गैस फील्ड्स में सहयोग को लेकर काफी विस्तार से बात हुई है। जबकि इस महीने के अंत तक भारत आने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोंपियो के साथ ऊर्जा सहयोग पर बातचीत काफी अहम रहेगी।

ईरान पर प्रतिबंध लागू होने के बाद भारतीय तेल कंपनियों ने अमेरिका से ज्यादा क्रूड खरीदने की शुरुआत कर भी दी है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी आइओसी ने इस साल अमेरिकी कंपनियों से 46 लाख टन क्रूड की खरीदने का समझौता कर लिया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिका से और ज्यादा क्रूड खरीदा जा सकता है।

अमेरिका लगातार भारत को अपने एनर्जी बाजार को उदार बनाने का दबाव बना रहा है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका के शेल बाजार में 4 अरब डॉलर का निवेश किया है और अब अमेरिका चाहता है कि उस गैस का निर्यात भारत को ही किया जाए। दोनों देश इसके लिए लंबी रणनीति पर काम कर रहे हैं। पोंपियो की आगामी नई दिल्ली यात्रा के दौरान ऊर्जा सहयोग एक बड़ा मुद्दा रहेगा।

रूस अमेरिका से पुराना भारत का ऊर्जा सहयोगी देश है और वह इस बात को बखूबी समझ रहा है कि किस तरह से अमेरिका व भारत के बीच सहयोग बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले दिनों बिश्केक (किर्गिस्तान) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में राष्ट्रपति पुतिन ने ऊर्जा सहयोग का मुद्दा सबसे ज्यादा उठाया।

उन्होंने भारतीय कंपनियों को अपने सुदूर पूर्वी क्षेत्र में स्थित तेल व गैस क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। रूस की तेजी इस बात से समझी जा सकती है कि उस बैठक के कुछ ही दिनों बाद 19 जून, 2019 को उन्होंने उप प्रधानमंत्री (सुदूर पूर्वी क्षेत्र के लिए राष्ट्रपति पुतिन के प्रतिनिधि) को भारत भेजा।

उप पीएम त्रुतनेव की बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, पेट्रोलियम मंत्री प्रधान और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार से मुलाकात हुई। बैठक में रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र से भारत तक ऊर्जा उत्पादों को किस तरह से लाया जाए, इस पर खास तौर पर चर्चा हुई है।

सनद रहे कि भारत व रूस के बीच इस बारे में गैस पाइपलाइन बिछाने के विकल्प पर भी पहले से बातचीत चल रही है। पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने संकेत दिया है कि अब समुद्री मार्ग से भी इन उत्पादों को रूस से भारत के पूर्वी तट तक लाया जा सकता है।

अमेरिका व रूस में यह होड़ इसलिए है कि भारत अपनी जरूरत का 83 फीसद क्रूड व गैस आयात से पूरी करता है। आने वाले दिनों में यह और बढ़ने की उम्मीद है। व‌र्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अगले कुछ वर्षो में एक लाख करोड़ डॉलर का निवेश होगा। वर्ष 2030 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा एनर्जी बाजार बनने की क्षमता रखता है।

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