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मृत छात्रा के परिजनों को दो लाख का मुआवजा और दिया जाए: एनएचआरसी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानि एनएचआरसी ने ओडिशा के मुख्य सचिव को मिड -डे-मील की गर्म दाल के बर्तन में गिरने से मरने वाली नाबालिग लड़की के परिजनों को दो लाख रुपये का और भुगतान करने का निर्देश दिया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 08:19 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 08:19 AM (IST)
मृत छात्रा के परिजनों को दो लाख का मुआवजा और दिया जाए: एनएचआरसी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ओडिशा सरकार को निर्देश।

नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ओडिशा के मुख्य सचिव को मिड -डे-मील की गर्म दाल के बर्तन में गिरने से मरने वाली नाबालिग लड़की के परिजनों को दो लाख रुपये का और भुगतान करने का निर्देश दिया है। घटना के बाद मुआवजे के रूप में राज्य सरकार ने सिर्फ एक लाख रुपये दिए थे। आयोग ने यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है।

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आयोग ने अपने निर्देश के अनुपालन को लेकर राज्य सरकार से 15 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को भी कहा है। गौरतलब है कि 21 नवंबर 2014 में नौवीं कक्षा की छात्रा मिड-डे मील के गर्म दाल के बर्तन में गिर गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। यह घटना कोरापुट जिले के बालीगांव स्थित ग‌र्ल्स हाई स्कूल में हुई थी। छात्रा का नाम बसंती बारिक था।

एनएचआरसी का केंद्रीय गृह सचिव को नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के मामले में केंद्रीय गृह सचिव को नोटिस जारी किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भारत में अपना कामकाज समेटने का एलान किया है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एनएचआरसी ने अपने बयान में कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ने भारत सरकार द्वारा देश में उसके सभी बैंक खातों को सीज किए जाने के बाद अपना सारा कामकाज रोक दिया है।

बयान में कहा गया है कि एनएचआरसी ने इस मामले में स्वत:संज्ञान लिया है और गृह सचिव को नोटिस जारी कर एमनेस्टी इंटरनेशनल के आरोपों पर जवाब मांगा है। इससे पहले, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि उसे भारत में अपने कर्मचारियों को हटाने और अपने सभी कामकाज और शोध कार्यो को बंद करने के लिए बाध्य किया गया है। हालांकि, सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के सभी आरोपों को गलत बताया था और कहा था कि संस्था देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही थी। 


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