कोई भी खोल सकेगा कार चार्जिंग स्टेशन, सिर्फ इन नियमों का करना होगा पालन
पूरे देश में भारी संख्या में चार्जिग स्टेशनों को खोले बगैर आम जनता को इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए तैयार नहीं किया जा सकता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2030 तक देश में आधी पैसेंजर कारों को बिजली से चलने वाली बनाने का लक्ष्य ले कर चल रही केंद्र सरकार इस क्षेत्र में एक क्रांतिकारी फैसला करने जा रही है। इसके तहत हर व्यक्ति को कुछ आसान नियमों और एहतियाती शर्तों को पूरा करने पर इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन खोलने की इजाजत होगी। इससे सरकार को उम्मीद है कि देश भर में इलेक्ट्रिक चार्जिग सुविधा की दिक्कतों को दूर किया जा सकेगा। यह जानकारी बिजली मंत्री आर के सिंह ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार इंस्पायर-2018 का उद्घाटन करते हुए दी।
सिंह ने बताया कि, ''सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग सुविधा स्थापित करने पर एक नोट तैयार किया गया है जिस पर तमाम मंत्रालयों के साथ विमर्श हो रहा है। इसके तहत जो नीति बनाई जाएगी उसका मकसद यह होगा कि जो भी चाहे वह वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए चार्जिग स्टेशन बना सके। इसके लिए लाइसेंस की जरुरत नहीं होगी बल्कि सरकार की तरफ से तय नियमों का पालन करना बस होगा।'' उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय से भी अलग से बात हो रही है कि सरकारी तेल कंपनियों के पेट्रोल पंपों पर चार्जिग स्टेशन खोलने जाए। यह कैबिनेट नोट चार्जिग स्टेशन पर नीति आयोग की तरफ से गठित समिति की सिफारिशों पर तैयार किया गया है। इस समिति ने कहा है कि इलेक्ट्रिक कारों के प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए 'लाइसेंस राज' को कम से कम रखना होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि पूरे देश में भारी संख्या में चार्जिग स्टेशनों को खोले बगैर आम जनता को इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए तैयार नहीं किया जा सकता।
इस अवसर पर देश में ऊर्जा क्षमता के विकास को ज्यादा से ज्यादा फंड उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेज (ईईएसएल) और विश्व बैंक के बीच एक करार हुआ है। ये दोनो मिल कर 1.3 करोड़ डॉलर राशि का एक ऊर्जा दक्षता कोष (ईईआरएफ) बनाया जाएगा। यह कोष देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में शोध को भी बढ़ावा देगा।