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मुख्यमंत्री जी! मुझ भाई-बहन की जान बचाएं प्लीज

लखनऊ। वाराणसी में भाई-बहन इन दिनों अपनी जान बचाने के लिए रोज भगवान से प्रार्थना करने के अलावा सहमे-सहमे से घर में छुपे रहते हैं। उनको भय है अपनी हत्या होने का। इसके लिए बहन ने मुख्यमंत्री तथा एसएसपी को पत्र लिखकर पिता की हत्या की जांच के साथ मदद व सुरक्षा की गुहार लगाई है। वाराणसी के चोलापुर क्षेत्र के चंदापुर गांव में 2

By Edited By: Published: Tue, 24 Dec 2013 12:11 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2013 12:12 PM (IST)
मुख्यमंत्री जी! मुझ भाई-बहन की जान बचाएं प्लीज

लखनऊ। वाराणसी में भाई-बहन इन दिनों अपनी जान बचाने के लिए रोज भगवान से प्रार्थना करने के अलावा सहमे-सहमे से घर में छुपे रहते हैं। उनको भय है अपनी हत्या होने का। इसके लिए बहन ने मुख्यमंत्री तथा एसएसपी को पत्र लिखकर पिता की हत्या की जांच के साथ मदद व सुरक्षा की गुहार लगाई है।

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वाराणसी के चोलापुर क्षेत्र के चंदापुर गांव में 29 अक्टूबर को हत्यारों ने चार लोगों को बेहद नृशंस तरीके से मौत के घाट उतार दिया था। पांचवें को मरा समझकर हत्यारे फरार हो गए थे। हालांकि, संदीप को लंबे उपचार के बाद बचा लिया गया। अब आप संदीप की आंखों में आंखें डालकर पांच सेकेंड भी नहीं देख पाएंगे, उसकी आंखों में आपको मौत नाचती दिखेगी। इस मामले में शासन, पुलिस व प्रशासनिक स्तर पर हद दर्जे की उदासीनता बरती गई। घटनाक्रम से दुखी छठवीं चश्मदीद आरती ने अब प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री व एसएसपी को पत्र लिखकर जांच, मदद व सुरक्षा मांगी है। ऐसी ही भावनाओं से भरे खत मृत मोहनलाल के भाई अशोक ने सांसद रामकिशुन यादव, विधायक उदयलाल मौर्य, डीजीपी, आइजी, डीआइजी व डीएम को लिखा है।

जान के भय से दोनों चश्मदीद गवाह संदीप व अनीता इन दिनों गुमनामी की जिंदगी बिता रहे हैं। उनके बंद मकान में आज भी खून के सैंकड़ों निशान मौजूद हैं, लालटेन, बिस्तर, मूक दीवारें, सीढिय़ां व छत मानों आज भी दहशत बयां कर रही हैं।

सरकारी कर्मी व उनके कुनबे की हत्या

चंदापुर के मोहन प्रसाद जायसवाल सिंचाई विभाग अंतर्गत नलकूप आपरेटर थे। उन्होंने एक व्यक्ति को जुआ खेलने से मना किया था, उसके पिता से शिकायत भी की थी। उसी रार में हुए इस नृशंस हत्याकांड के दौरान मोहन प्रसाद, उनकी पत्नी घूना देवी, पुत्र प्रदीप व पुत्री पूजा को रॉड से प्रहार कर मौत के घाट उतार दिया गया। पुत्री आरती ने अपने को कमरे में बंदकर जान बचाई व जख्मी संदीप को डाक्टरों ने बचाया। इस तरह घटना के दो चश्मदीद आज जीवित हैं।

चंदे से जली थीं चिताएं

मृत मोहन प्रसाद के छोटे भाई अशोक जायसवाल ने बताया कि पोस्टमार्टम हाऊस पर पहुंचे विभागीय मंत्री सुरेन्द्र पटेल ने विभागीय व आर्थिक मदद का भरोसा दिया था। यह भी कहा मणिकर्णिका घाट पर चार चिताएं सजा दी गई हैं, आप लोग सिर्फ शवों को लेकर वहां पहुंच भर जाएं, उन्होंने किसी को सहेजा भी। अफसोस, घाट पर कोई इंतजाम नहीं था। हम लोगों के पास भी पैसे नहीं थे। चंदा लगाकर किसी तरह दाह संस्कार किया गया। परिवार को अभी एक पैसे की आर्थिक मदद नहीं मिली, मुआवजा नहीं मिला, नौकरी का पता नहीं और तो और चश्मदीदों को कोई सुरक्षा भी नहीं मिली है।

नौकरी, आर्थिक मदद दोनों मिलेगी

राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटेल ने कहा कि बेहद दुखद घटना हुई है मगर उस दिन के बाद से मैं मोहन प्रसाद के किसी परिवार वाले का इंतजार ही कर रहा हूं। कोई मुझसे मिले, यकीनन योग्य परिवारी सदस्य को नौकरी मिलेगी साथ ही मुआवजा, आर्थिक मदद आदि भी अवश्य की जाएगी। इस हत्याकांड के राजफाश में यदि कहीं कोई पेंच है तो इस बाबत पुलिस को निर्देशित किया जाएगा। कोई अन्याय नहीं होगा, सरकार हर कमजोर के साथ खड़ी है।

बेहद गंभीर मामला है यह

अपर पुलिस महानिदेशक जीएल मीना ने कहा कि परिवार का कोई भी सदस्य यदि पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं है तो मुझसे मिले, दोबारा जांच की जाएगी। चश्मदीदों की बात न मानना व उन्हें सुरक्षा न देना बेहद गंभीर मामला है। अशोक जी मुझसे मिलें, उनकी भरपूर मदद की जाएगी। यह चार इंसानों के कत्लेआम का मामला है। अंजाम तक पहुंचाए बिना इसे दाखिल दफ्तर नहीं किया जा सकता।

सवाल अनुत्तरित, पुलिस की फाइल बंद

इस नरसंहार ने कई सवाल खड़े किए जिनके जवाब आज भी अनुत्तरित हैं। उपुलिस ने राजू पटेल को गिरफ्तार कर फाइल बंद कर दी। तर्क दिया कि एक ही व्यक्ति ने पांच लोगों पर प्रहार किया। इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि यह कैसे मुमकिन है कि एक व्यक्ति पांच लोगों को घेरकर मारने की कोशिश करे, वह भी राड से। .और चार लोगों को मार भी डाले।

मौत के दरवाजे से लौटे चश्मदीद संदीप जायसवाल के अनुसार हमलावर कम से कम तीन थे। उसका गला कसा जा रहा था और सिर पर रॉड से प्रहार भी किया जा रहा था। एक व्यक्ति यह दोनों काम एक साथ कदापि नहीं कर सकता।

दूसरी चश्मदीद आरती के अनुसार हमलावर एक से ज्यादा थे, बहुत ज्यादा। संभवत: यह पहला मामला होगा कि जिसमें चश्मदीदों की बात को पुलिस ने नजरअंदाज कर फाइल ही बंद कर दी।

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