कोरोना पर अब चलेगा आयुर्वेद का ब्रम्हास्त्र, आयुष-64 समेत कई औषधियों का ट्रायल शुरू
ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कोरोना संक्रमितों के इलाज में अश्वगंधा समेत चार आयुर्वेदिक औषधियों और आयुष-64 नाम की एक अन्य आयुर्वेदिक दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के खिलाफ छिड़ी चौतरफा जंग में अब आयुर्वेदिक औषधियों को बड़े पैमाने पर अजमाने की तैयारी है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कोरोना के इलाज में अश्वगंधा समेत चार आयुर्वेदिक औषधियों और आयुष-64 नाम की एक अन्य आयुर्वेदिक दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इन दवाओं पर क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू हो गया है। फिलहाल इन्हें सबसे पहले देश के कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में अजमाया जा रहा है।
बाद में इसे स्वास्थ्य कर्मियों को भी दिया जाएगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और आयुष मंत्रालय की पहल पर इन सभी आयुर्वेदिक गुणों को देखते हुए यह मंजूरी दी गई है। फिलहाल अश्वगंधा के साथ जिन चार अन्य आयुर्वेदिक औषधियों को क्लीनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दी गई है, उनमें यष्टी मधु, पीपली, गुरुच शामिल है। हालांकि ट्रायल में कोरोना संक्रमितों को सबसे पहले अश्वगंधा दी जाएगी।
अश्वगंधा को इम्यूनिटी मजबूत करने में सबसे कारगर औषधि के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा जिन तीन अन्य आयुर्वेदिक औषधियों को मंजूरी दी गई है, उनकी रोगों से लड़ने में उपयोगिता पहले ही प्रभावित हो चुकी है। खास बात यह है कि औषधियों के कोई भी साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। ऐसे में इन्हें खाने से किसी को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आयुष मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में भी कई औषधियों के इस्तेमाल का जिक्र था।
इन्हें काढे के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी। आयुष-64 नाम की जिस आयुर्वेदिक दवा के भी ट्रायल को मंजूरी दी गई है, उसे मलेरिया के उपचार के लिए तैयार किया गया है। मलेरिया जैसे ही कोरोना के लक्षणों को देखते हुए ही आयुष-64 के ट्रायल को मंजूरी दी गई है। हालांकि सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे के मुताबिक इन औषधियों के गुणों को देखते हुए इनके बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है।