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Climate Change: 71 फीसद भारतीयों ने माना, जलवायु परिवर्तन के लिए मनुष्य जिम्मेदार

Climate Change 30 हजार लोगों पर किए गए सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि अमेरिका में छह फीसद लोग इस बात को मानते ही नहीं हैं कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 08:49 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 08:51 AM (IST)
Climate Change: 71 फीसद भारतीयों ने माना, जलवायु परिवर्तन के लिए मनुष्य जिम्मेदार
Climate Change: 71 फीसद भारतीयों ने माना, जलवायु परिवर्तन के लिए मनुष्य जिम्मेदार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ब्रिटेन की इंटरनेशनल रिसर्च एंड एनालिटिक्स फर्म यूगोव द्वारा 28 देशों में किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण में सामने आया है कि 71 फीसद भारतीय जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्य रूप से इंसानों को जिम्मेदार मानते हैं। वहीं, भारत के विपरीत, अमेरिका, स्वीडन, सऊदी अरब और नॉर्वे जैसे देशों में 40 फीसद से कम लोग इस बात पर सहमत हैं। 30 हजार लोगों पर किए गए सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि अमेरिका में छह फीसद लोग इस बात को मानते ही नहीं हैं कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है। वहीं, नौ फीसद लोगों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन तो हो रहा है, लेकिन इसके लिए इंसान जिम्मेदार नहीं है।

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जीवन पर पड़ेगा असर

70 फीसद भारतीयों सहित मलेशिया, कतर, यूएई, बहरीन और थाईलैंड जैसे कई एशियाई देशों ने माना है कि जलवायु परिवर्तन से उनके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस मामले में सिर्फ यूरोपीय देश स्पेन में 32 फीसद लोग सबसे ज्यादा चिंतित दिखे। पूर्वी और मध्य पूर्वी देशों में लोगों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पश्चिम देशों में रह रहे लोगों की तुलना में उन पर ज्यादा पड़ेगा।

अर्थव्यवस्था को भी होगा नुकसान

सर्वेक्षण के मुताबिक, अधिकांश लोगों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होगा। दुनिया के कुछ हिस्सों से लोगों का बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा और छोटे-छोटे युद्ध शुरू हो जाएंगे।

स्थिति नियंत्रण से बाहर!

22 फीसद भारतीयों का मानना है कि अब जलवायु परिवर्तन को नहीं रोका जा सकता। वहीं, 60 फीसद भारतीयों को विश्वास है कि उनका देश जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में बेहतर काम कर रहा है।

सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक

वर्तमान में जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी वैश्विक समस्याओं में से एक है। औद्योगिक क्रांति के बाद धरती का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है। आइपीसीसी ने इससे पहली बार आगाह किया था। अब इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। गर्मियां लंबी होती जा रही हैं और सर्दियां छोटी। पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है। प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और प्रवृत्ति बढ़ चुकी है। ऐसा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से हो रहा है।

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