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CBI में घमासानः साजिश में रॉ का अधिकारी भी शामिल, एजेंसी के पास ये सबूत

वहीं सीबीआइ ने आलोक वर्मा के खिलाफ सतीश बाबू सना का फर्जी बयान दर्ज करने वाले अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 12:37 AM (IST)
CBI में घमासानः साजिश में रॉ का अधिकारी भी शामिल, एजेंसी के पास ये सबूत
CBI में घमासानः साजिश में रॉ का अधिकारी भी शामिल, एजेंसी के पास ये सबूत

नई दिल्ली [नीलू रंजन]। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को झूठे मामले में फंसाने की साजिश में रॉ वरिष्ठ अधिकारी सामंत कुमार गोयल की सक्रिय भूमिका थी। सीबीआइ के पास इसके पुख्ता सबूत हैं। सीबीआइ आरोपी मनोज प्रसाद के साथ-साथ उसके भाई सोमेश प्रसाद को भी गिरफ्तार करना चाहती थी। लेकिन सामंत गोयल ने फोन कर सोमेश प्रसाद को भारत आने से मना कर दिया था। सीबीआइ के पास इस बातचीत का टेप है। वहीं सीबीआइ ने आलोक वर्मा के खिलाफ सतीश बाबू सना का फर्जी बयान दर्ज करने वाले अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

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वैसे तो सीबीआइ की एफआइआर में सामंत कुमार गोयल को आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन एक जगह उनका नाम है। लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पूरी साजिश में सामंत कुमार गोयल शामिल थे। सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाने वाले सतीश बाबू सना ने अपनी लिखित शिकायत में कहा कि आरोपी सोमेश प्रसाद ने उसके सामने राकेश अस्थाना के साथ नजदीकी संबंधों के अलावा सामंत कुमार गोयल के साथ लगातार संपर्क में होने का दावा किया था। लेकिन सिर्फ दावे के आधार पर रॉ के इतने वरिष्ठ अधिकारी का नाम एफआइआर में शामिल नहीं किया गया। बल्कि सामंत कुमार गोयल और सोमेश प्रसाद के बीच टेलीफोन पर बातचीत के टेप भी उसके पास मौजूद थे।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अपने निदेशक आलोक वर्मा को फंसाने की साजिश का पता लगने के बाद सीबीआइ ने मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद दोनों के मोबाइल पर बातचीत को टेप करना शुरू कर दिया था। मनोज प्रसाद पहले से भारत में था और सोमेश प्रसाद भी भारत आने की तैयारी में था। सीबीआइ चाहती थी कि सोमेश प्रसाद को भी गिरफ्तार कर उसके मोबाइल को कब्जे में लिया जाए। सोमेश प्रसाद ने अपने मोबाइल से न सिर्फ राकेश अस्थाना से कॉल किया था, बल्कि व्हाट्सएप पर भी बातचीत की थी। उसने सतीश बाबु सना को व्हाट्सएप की डीपी में राकेश अस्थाना का फोटो भी दिखाया था। लेकिन सीबीआइ की तैयारी की भनक कहीं से सामंत कुमार गोयल को लग गई और उन्होंने सोमेश प्रसाद को बार-बार फोन पर भारत नहीं आने की चेतावनी थी। लेकिन उन्हें खुद नहीं पता था कि उनकी बातचीत को टेप किया जा रहा है। अब सीबीआइ कभी भी सामंत कुमार गोयल को पूछताछ के लिए बुला सकती है।

इस बीच सीबीआइ ने निदेशक आलोक वर्मा को फंसाने के लिए सतीश बाबु सना का फर्जी बयान दर्ज करने वाले डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआइ के अनुसार देवेंद्र कुमार ने सतीश बाबु सना को 26 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन सना उस दिन नहीं आए और हैदराबाद में ही थे। सना एक अक्टूबर को सीबीआइ पहुंचे। लेकिन देवेंद्र कुमार ने 26 सितंबर को ही सना का बयान दर्ज करना दिखाया। इस बयान में सना को यह कहते हुए बताया गया कि इस साल जून में उसने राज्यसभा सांसद सीएम रमेश से मुलाकात कर सीबीआइ में बार-बार बुलाए जाने के बारे में बताया था। इस फर्जी बयान के अनुसार सीएम रमेश ने सतीश बाबू सना को सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा से बातचीत हो जाने की बात कही और यह भी बताया कि अब आगे उसे पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा। इस फर्जी बयान में सतीश बाबू सना ने जून के बाद कोई नोटिस नहीं मिलने के बाद यह मान लिया था कि सीएम रमेश की पैरवी के बाद सीबीआइ ने उसे क्लीन चिट दे दी है।

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सतीश बाबु सना का फर्जी बयान आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी में राकेश अस्थाना की शिकायत को मजबूत करने लिए दर्ज किया था। बयान फर्जी होने का सबसे बड़ा सबूत है कि 26 सितंबर को सना दिल्ली में था ही नहीं, तो उस दिन देवेंद्र कुमार ने बयान कैसे दर्ज कर लिया। दूसरी बात सीएम रमेश ने सतीश बाबु के लिए कभी आलोक वर्मा से बातचीत नहीं की थी। वहीं मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिये बयान में सना ने कहा है कि उसने सीबीआइ केस के बारे में सीएम रमेश से कभी बात की ही नहीं थी। उसका बयान पूरी तरह फर्जी है। देवेंद्र कुमार की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ मुख्यालय स्थित उसके दफ्तर और घर की तलाशी भी ली गई। 


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