Move to Jagran APP

भारत में प्रतिवर्ष 6 करोड़ टन कचरा निकलता है, अपशिष्ट प्रबंधन में नागरिक भागीदारी

जैसे जैसे देश आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहा है वैसे वैसे हमें कचरा प्रबंधन के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी ध्यान देना होगा। सरकार द्वारा इस दिशा में जो कार्य किए जा रहे हैं उनकी सफलता में नागरिक भागीदारी बेहद अहम है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 11:59 AM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 12:00 PM (IST)
भारत में प्रतिवर्ष 6 करोड़ टन कचरा निकलता है, अपशिष्ट प्रबंधन में नागरिक भागीदारी
स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से देश ने स्वच्छता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

रवि नितेश। आज हम अपने समाज को सभ्य और सुसंस्कृत कहते हैं, लेकिन अपने घरों से अनियंत्रित कूड़ा-कचरा निकालते हैं, कई बार उपयोग में लाई जा सकने वाली वस्तुएं भी इस कचरे का हिस्सा बना दी जाती हैं, बिना यह जाने कि हमारे द्वारा उत्पादित किए गए इस कचरे का प्रबंधन कितना मुश्किल है। भारत विश्व के सबसे बड़े कचरा उत्पादक देशों में एक है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 6.2 करोड़ टन कचरा निकलता है। इस आंकड़े के हिसाब से लगभग प्रतिदिन 1.7 लाख टन कचरा निकल रहा है। अकेले राजधानी दिल्ली में लगभग 1300 टन कचरा प्रतिदिन एकत्र होता है। जाहिर है कि पहले ही जमीन की कमी और जनसंख्या घनत्व की अधिकता से जूझती दिल्ली के पास सिवाय कूड़े के पहाड़ बनाने के दूसरा रास्ता नहीं दिखता।

loksabha election banner

राजधानी के ओखला, भलस्वा और गाजीपुर नाम की जगहों पर कूड़े के इतने बड़े-बड़े पहाड़ बने हुए हैं कि कोई अनजान पर्यटक दूर से देखकर इनको सही का पहाड़ ही समझ बैठे। ऐसा भी नहीं है कि इसके लिए सरकारों ने कुछ किया नहीं। कई बार इन ‘पहाड़ों’ पर एकत्र कूड़े से कुछ उपयोगी सामान (सड़क और मकान निर्माण में उपयोगी वस्तुएं) बनाने की योजना बनी, कई बार इनसे निकलने वाले गैस को ऊर्जा संयंत्रों द्वारा उपयोगिता में लाए जाने के बारे में काम हुआ और कभी इनके ऊपर घास उगाकर हरा-भरा दिखाए जाने का प्रयास हुआ, पर लगातार बढ़ती कूड़े की मात्र इस पर हमेशा भारी बनी रही।

इस तरह के कूड़े और इसमें मौजूद हानिकारक तत्वों का हवा के माध्यम से वातावरण में फैलना, भारी मात्रा में हानिकारक गैसों द्वारा वातावरण प्रदूषित करना, जानवरों द्वारा इसको खा लिया जाना और बीमार पड़ जाना, इसके स्थानीय मिट्टी और जल स्तर में मिश्रित होने की दशा में खतरों का उत्पन्न होना, कई बार भार न संभाल पाने की स्थिति में बड़ी मात्र में कूड़े का धसक जाना और चपेट में आने वाले लोगों, कर्मियों, मकानों और मशीनों को नुकसान पहुंचाना आदि तमाम इसके कुप्रबंधन से होने वाले दुष्प्रभाव हैं।

यह समस्या आज लगभग हर शहर की है जहां कचरे का समुचित प्रबंधन नहीं हो रहा है। हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत इसके प्रबंधन के लिए काम किया जा रहा है और कई शहरी क्षेत्रों में घर घर जाकर कूड़ा एकत्र किया जा रहा है, परंतु इसके दुष्प्रभावों को रोकने के लिए सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तर पर मिलकर काम करना होगा जिसमें नागरिकों की भूमिका अहम होगी। साथ ही, हर स्तर पर रियूज व रिड्यूस यानी रिसाइकिल यानी पुन: प्रयोग, कम प्रयोग व पुनर्चक्रण को लागू करना होगा। ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से देश ने स्वच्छता की दिशा में जो कदम बढ़ाए हैं, उसका अनवरत जारी रहना ही भविष्य को सुरक्षित रखना है। 

[पर्यावरण कार्यकर्ता]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.