कोहिनूर जैसी प्राचीन वस्तुओं को वापस लाने के प्रयास की जानकारी दें
विभिन्न रिपोर्टों और बयानों से जनता भ्रमित हो जाती है कि भारत की बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने पर सरकार का सही में क्या रुख है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने कोहिनूर हीरा और महाराजा रणजीत सिंह के स्वर्ण सिंहासन जैसी प्राचीन वस्तुओं (एंटीक) को वापस लाने के प्रयास संबंधी जानकारी मांगी है। आयोग ने सूचना के अधिकार (आरटीआइ) आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और विदेश मंत्रालय को इस बाबत निर्देश दिया है।
2014 से 2017 का ये है रिकॉर्ड
आवेदनकर्ता ने विदेश मंत्रालय और पीएमओ से यह जानकारी मांगी थी लेकिन उसके आवेदन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पास भेज दिया गया। एएसआइ ने इस पर जवाब दिया कि इन वस्तुओं को वापस लाना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उसने कहा कि वह केवल उन्हीं वस्तुओं को वापस लाने का मामला देखता है जो एंटिकटीज एंड आर्ट ट्रेजर एक्ट, 1972 के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से देश से निर्यात किए गए हैं। उसने कहा कि 2014 से 2017 के दौरान अब तक 25 प्राचीन वस्तुएं विभिन्न देशों से वापस लाई गई हैं।
सरकार भावनाओं की अनदेखी नहीं कर सकती
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि सरकार ऐसी भावनाओं वाले आवेदनों, जनहित याचिकाओं और आरटीआइ अर्जियों की अनदेखी नहीं कर सकती। उन्होंने इस संबंध में आजादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कई याचिकाओं और विभिन्न सरकारों के बयानों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न रिपोर्टों और बयानों से जनता भ्रमित हो जाती है कि भारत की बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने पर सरकार का सही में क्या रुख है।
क्या प्रयास किए जा रहे हैं
आचार्युलु ने पीएमओ, संस्कृति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सीपीआइओ को आवेदक को यह बताने का निर्देश दिया कि इस संबंध में क्या प्रयास किए जा रहे हैं। आरटीआइ आवेदक बीकेएसआर अय्यंगर ने कोहिनूर हीरा, सुल्तानगंज बुद्ध, भगवान शिव की आंख कहे जाने वाले नासक हीरा, टीपू सुल्तान की तलवार एवं अंगूठी, महाराजा रणजीत सिंह का स्वर्ण सिंहासन, शाहजहां का शाही प्याला जैसी प्राचीन वस्तुओं को वापस लाने के सरकार के प्रयास की जानकारी मांगी थी।
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