चीनी उत्पादों का सिमटता बाजार: चीन के पुर्जे ढीले कर देगा भारत का बाजार
चीनी उत्पादों के बहिष्कार का जिन क्षेत्रों पर ज्यादा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है उनमें ऑटो पार्ट्स प्रमुख है।
जेएनएन, नई दिल्ली। चीनी उत्पादों के बहिष्कार का जिन क्षेत्रों पर ज्यादा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है, उनमें ऑटो पार्ट्स प्रमुख है। वाहन उद्योग में प्रमुख स्थान रखने के बावजूद चीन पर निर्भरता बरकरार है, लेकिन भारतीय उद्यमियों को पूरा भरोसा है कि वे अपने दमखम से इस मोर्चे पर भी चीन को पछाड़ देंगे। देश का जनमानस मेक इन इंडिया के साथ मजबूती से खड़ा है, जरूरत है कि सरकार भी इस लड़ाई में कारोबारियों का साथ दे।
आम भारतीय की सोच में आया बदलाव
आम भारतीय की सोच में आए बदलाव की जरा बानगी देखिए। लुधियाना के प्रेम नगर निवासी प्रो. परवीन कुमार अपनी मारुति कार के लिए इलेक्ट्रिक सेंसर लेने पहुंचे। उन्होंने दुकानदार से पहले ही कह दिया कि चीन का नहीं भारतीय सेंसर चाहिए, भले ही इसके लिए अधिक पैसे लगें। उन्होंने चीन के 1200 रुपये के सेंसर की बजाय 2500 रुपये का भारतीय सेंसर खरीदा। अधिक दाम देने के बावजूद उनके चेहरे पर संतुष्टि का भाव था। लुधियाना में ही हैबोवाल स्थित दिनेश मोटर्स पर टायर बदलवाने पहुंचे पंकज भारद्वाज ने भी कुछ ऐसा ही किया। चीन निर्मित टायर 2200-2300 रुपये के और घरेलू कंपनी के टायर 3600 रुपये में उपलब्ध थे, लेकिन पंकज ने घरेलू ब्रांड का ही टायर खरीदा। प्रो. परवीन और पंकज जैसे लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, जो चीन निर्मित सामान से किनारा करने लगे हैं।
चीन से ऑटो पार्ट्स का आयात
एक अनुमान के मुताबिक देश में ऑटो कंपोनेंट का कुल कारोबार पांच लाख 70 हजार करोड़ रुपये का है। प्रमुख रूप से कोयंबटूर, बंगलुरू, मुंबई, औरंगाबाद, पुणे, पुडुचेरी, सानंद, राजकोट, रुद्रपुर, नीमराना, भिवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बावल, नोएडा और लुधियाना में इसकी मैन्युफैक्चरिंग होती है। सिर्फ गुरुग्राम और फरीदाबाद में इसका एक तिहाई उत्पादन होता है। जहां तक चीन से ऑटो पार्ट्स के आयात का सवाल है तो वर्ष 2018-19 में कुल आयात ऑटो पार्ट्स का 27 फीसद चीन से मंगाया गया था।
चीनी ऑटो पार्ट्स का विकल्प तलाश रहे खरीदार
एशिया के सबसे बड़े ऑटो पार्ट्स बाजारों में शामिल दिल्ली के कश्मीरी गेट में 35 से 40 फीसद सामान चीन से आयात होता था, जो घटकर 10 फीसद रह गया है। स्वदेशी उत्पादों की मांग और बिक्री बढ़ी है। भारतीय कारोबारी चीन को बाजार से बाहर करने के लिए तैयार हैं। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मोहाली, लुधियाना व नोएडा जैसे शहरों में आटो पार्ट्स के उत्पादन में तेजी आई है।
चीन ने देश की पीठ में छुरा घोंपा है, सरकार को चीन की तर्ज पर सहूलियतें देनी होंगी
प्रमुख ऑटो पार्ट्स निर्माता और लुधियाना के रजनीश इंटरनेशनल लिमिटेड के चेयरमैन रजनीश आहूजा ने कहा कि चीन ने देश की पीठ में छुरा घोंपा है। इसलिए हमने उसे बाजार से बाहर करने की ठान ली है। रणनीति बनाई जा रही है। सरकार को भी आगे आना होगा। उसे चीन की तर्ज पर सहूलियतें देनी होंगी। इनमें इंडस्ट्री को चार फीसद ब्याज पर ऋण, जीरो फीसद ड्यूटी पर मशीनरी आयात, विश्व स्तरीय रिसर्च एंड डवलपमेंट, इंडस्ट्री फ्रेंडली लेबर कानून इत्यादि शामिल हैं। लुधियाना के ही न्यू स्वैन ग्रुप के सीएमडी उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि देश पहले है, कारोबार बाद में।
फरीदाबाद के उद्यमियों ने चीन से बनाई दूरी
फरीदाबाद ऑटो पार्ट्स का बड़ा हब है। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान बीआर भाटिया ने बताया कि उद्यमियों ने भी चीन निíमत माल को न कहना शुरू कर दिया है। पहले से आर्डर दिए थे, उन्हें रद कर दिया गया है। ऑटो पार्ट्स निर्माता वीजी इंडस्ट्री के प्रबंध निदेशक नवीन सूद का कहना था कि हमारी कोशिश है कि चीन से कुछ भी न मंगाया जाए।
गुणवत्ता पर दें ध्यान, चीन होगा धड़ाम
नोएडा में ऑटो कंपोनेंट के लिए हर माह चीन से 2500 करोड़ रुपये का कॉपर, एल्मुनियम, रबर आयात हो रहा है, जिसे पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कच्चा माल मंगाया जा रहा है, लेकिन इसे भी खत्म करना होगा। नोएडा इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव और टेक्नोमैट कंपोशीट प्राइवेट लिमिटेड के एमडी राजेश जैन कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर पहुंचने के लिए कच्चे माल की सौ फीसद उपलब्धता बढ़ानी होगी। सुनिश्चित करना होगा कि जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट वाला कंपोनेंट तैयार हो।
हमारे उत्पाद चीन की तुलना में अच्छे हैं। अगर सरकार प्रोत्साहित करे तो हम पूरे विश्व को निर्यात करने की स्थिति में होंगे-विनय नारंग, महासचिव, ऑटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन, कश्मीरी गेट, दिल्ली।
(लुधियाना से राजीव शर्मा, नोएडा से कुंदन तिवारी और फरीदाबाद से सुशील भाटिया के इनपुट के साथ)