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India-China Tension: गलवन से 2 किमी पीछे हटी चीनी सेना, टेंट और निर्माण को हटाया

India China Boarder News लद्दाख के गलवन में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 1-2 किमी पीछे हट गई है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 11:58 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 01:18 PM (IST)
India-China Tension: गलवन से 2 किमी पीछे हटी चीनी सेना, टेंट और निर्माण को हटाया
India-China Tension: गलवन से 2 किमी पीछे हटी चीनी सेना, टेंट और निर्माण को हटाया

नई दिल्ली, एएनआइ। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास गलवन घाटी में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 1-2 किमी पीछे हट गई है। चीनी सैनिक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत पीछे हटी है। जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिक अपने टेंट भी पीछे हटा रही हैं। लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर चीन का यह कदम काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना के भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवन नदी क्षेत्र में गहराई वाले इलाकों में मौजूद हैं। भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है। एलएसी पर जारी तनाव को लेकर भारत और चीन के बीच तीन बार कमांडर स्तर की बैठकें हो चुकी है। 6 जून को पहली बैठक, 22 जून को चीन के इलाके मोल्डो में दूसरी बैठक और तीसरी बैठक 30 जून को चुशूल में हुई थी।

सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के कोर कमांडर के बीच हुए समझौते के अनुसार, चीनी सैनिकों का पीछे हटना शुरू हो गया है। चीनी सेना पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 से अपने टेंट और निर्माण को हटाती हुई दिखाई दे रही है। इसके अलावा गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके से भी चीनी सेना के वाहन पीछे जा रहे हैं।

सात हफ्तों से तनाव जारी

बता दें कि वास्तविक सीमा पर भारत और चीन के बीच करीब सात हफ्तों से तनाव जारी है। दोनों देशों के बीच स्थिति 15 जून हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान दिया था। इस दौरान चीन के भी 40 से अधिक सौनिक मारे गए थे।

मोदी का चीन को संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को अचानक लद्दाख के दौरे पर पहुंचे थे। तब उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के साथ-साथ सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात भी की थी। पीएम मोदी चीन के साथ झड़प में घायल जवानों से भी मिले थे। इस दौरान पीएम मोदी ने चीन को बेहद सख्त संदेश देते हुए कहा था कि भारत शांतिप्रिय देश जरूर है, लेकिन कमजोर नहीं। उन्होंने कहा था कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है, यह विकास का युग है। इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें या तो हार गई हैं या फिर पीछे हटने को मजबूर हुई हैं।


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