चीन की चालबाजी का हुआ खुलासा, लद्दाख की सीमा के पास चीनी सेना बना रही सुरंगें
रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील के पास सैन्य बुनियादी ढांचे के विकास पर काम करना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। चीन ने एक बार फिर लद्दाख सीमा के पास भारत की सुरक्षा के खिलाफ एक कदम उठाया है। लद्दाख के सीमावर्ती इलाके में चीन अपनी सेना के बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील के पास सैन्य बुनियादी ढांचे के विकास पर काम करना शुरू कर दिया है।
एक सूत्र ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इस इलाके में टेंट लगाए हैं और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इसी इलाके में भूमिगत सुरंगों का निर्माण किया है। इतना ही नहीं चीनी सेना पैंगोंग त्सो क्षेत्र के पास विवादित फिंगर 8 माउंटेन स्पर में और अधिक सुरंगों का निर्माण कर रही है। सूत्र के मुताबिक, 'ये भी देखा गया है कि चीनी सेना ने इस इलाके में अपनी सेना की तैनाती और गश्त भी बढ़ाई है। इतना ही नहीं, अब वे आसपास के इलाकों में भारतीय सेना की आवाजाही पर एतराज जता रहे हैं।'
बता दें अब तक इस विवादित क्षेत्र में किसी तरह का सैन्य ढांचा नहीं बनाया गया है, जहां चीनी सेना गश्त के लिए आ जाया करती थी। लेकिन टेंट की स्थापना करने के साथ ही चीनी सेना ने जिस तरह खुद को इस सीमावर्ती इलाके में तैनात कर लिया है, यह भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
पैंगोंग झील के उतरी तट पर करीब 134 किलोमीटर लंबी सीमा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच कई दफा झड़प हो चुकी है। पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर-8 (पर्वतीय स्पर्स) क्षेत्र में विवादित फिंगर-5, भारत और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प का गवाह बना था। 15 अगस्त, 2017 को एक-दूसरे को घायल करने के लिए दोनों सेनाओं ने पत्थरों और लोहे की छड़ों का इस्तेमाल किया था।
पैंगोंग झील के उतरी तट इलाके का दो-तिहाई हिस्सा चीन के कब्जे में है जो तिब्बत से लेकर लद्दाख तक फैला हुआ है। भारत और चीन के बीच मानी गई वास्तविक सीमा रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल-एलएसी) को लेकर दोनों देशों के विरोधाभासी नजरिए के चलते यह विवाद होते रहे हैं। ऐसे किसी भी विवाद के बाद दोनों देशों की सेनाओं के ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडलों की बातचीत होती है।