चीन ने किया था LAC का उल्लंघन, रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट पर दस्तावेज में बात मानी, बाद में हटाया
रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीनी सैनिक कुगरंग नाला गोगरा और पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर 17-18 मई को घुसे थे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन का आक्रामक रवैया अभी कायम है। रक्षा मंत्रालय ने माना है कि गत पांच मई के बाद चीनी सैनिकों ने गलवन घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में एलएसी का उल्लंघन किया था। इसके अलावा उसने बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा किया है। मंत्रालय का यह भी कहना है कि एलएसी पर चीनी आक्रामकता में कमी नहीं आई है और सैन्य गतिरोध लंबा खिंचने की आशंका है। हालांकि, चीनी घुसपैठ पर आधिकारिक तरीके से सामने आए तथ्यों पर सरगर्मी बढ़ी तो रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से दस्तावेज के इस अंश को चुपचाप हटा लिया।
रक्षा मंत्रालय ने चार जुलाई को अपनी वेबसाइट पर ताजा घटनाक्रम की जानकारी साझा करते हुए एक दस्तावेज अपलोड किया था। इसमें 'एलएसी पर चीनी अतिक्रमण' शीर्षक के साथ पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ की जानकारी साझा की गई। इसमें यह स्वीकार किया गया कि मई से चीन अपनी आक्रामकता लगातार बढ़ाता जा रहा है। विशेष रूप से गलवन घाटी में पांच मई के बाद उसकी आक्रामकता ज्यादा रही है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, चीनी सैनिक कुगरंग नाला, गोगरा और पैंगोंग लेक के उत्तरी किनारे पर 17-18 मई को घुसे थे। दस्तावेज में कहा गया है कि तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों के बीच स्वीकार्य सहमति का रास्ता तलाशने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वार्ता का दौर लगातार जारी है। फिर भी गतिरोध के लंबा खिंचने के आसार हैं। कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की वार्ता चीन के अडि़यल रुख की वजह से बेनतीजा रही। सूत्रों ने बताया कि बीते रविवार को हुई इस बैठक में एलएसी पर अपने सैनिकों को हटाने के बजाय चीन ने उल्टे भारत से पैंगोंग और फिंगर चार इलाके से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कहा।
भारत ने चीन की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। फिंगर चार इलाके में भारत दशकों से पैट्रोलिंग करता रहा है। चीन के प्रस्तावों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में चाइना स्टडीज ग्रुप की बैठक में समीक्षा की गई। इसके बाद सैन्य हॉटलाइन के जरिये भारत ने साफ कह दिया कि एलएसी पर घुसपैठ के पूर्व की स्थिति की बहाली से ही गतिरोध का हल निकलेगा।
पूर्ण वापसी के लिए चीन दिखाए गंभीरता
भारतपूर्वी लद्दाख स्थित एलएसी पर भारत व चीन के बीच बर्फ पिघलती नहीं दिख रही। दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर जो सहमति बनी थी वह जमीन पर लागू होती नहीं दिख रही। गुरुवार को भारत ने पूरे विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात कही। साथ ही चीन से भी कहा है कि वह अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी सुनिश्चित करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पांच जुलाई, 2020 को भारत व चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। दोनों प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी थी कि एलएसी से सैनिकों की द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक, शीघ्र व पूर्ण वापसी होगी। भारत इस सहमति को लेकर प्रतिबद्ध है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए गंभीरता से काम करेगा। भारत जहां यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि चीन ने सैनिक वापस नहीं किए हैं वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह जताने की कोशिश हो रही है कि सैनिकों की वापसी की जा रही है।