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संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैनिकों की वृद्धि कर भारत की भूमिका कम करने की जुगत में जुटा चीन

संयुक्त राष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन उसके शांति अभियानों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने की योजना बना रहा है। उसका मकसद भारतीय भूमिका को कम करना भी है। चीन भारत के सैनिकों से दोगुनी संख्या में अपने सैनिक भेजना चाहता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 10:39 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 10:39 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैनिकों की वृद्धि कर भारत की भूमिका कम करने की जुगत में जुटा चीन
शांति अभियानों में भारत के सैनिकों से दोगुनी संख्या में अपने सैनिक भेजना चाहता है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन उसके शांति अभियानों (मिशनों) में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने की योजना बना रहा है। उसका मकसद ऐसे अभियानों में भारतीय भूमिका को कम करना भी है।

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यूएन शांति अभियानों में चीन ने 2,548 से बढ़ाकर 8000 सैनिक भेजने की बनाई योजना

संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न शांति अभियानों में वर्तमान में चीन के कुल 2,548 सैनिक तैनात हैं। चीन ने अब इन अंतरसरकारी अभियानों में अपने आठ हजार अतिरिक्त सैनिक भेजने की योजना बनाई है। वह इन शांति अभियानों में भारत के सैनिकों से दोगुनी संख्या में अपने सैनिक भेजना चाहता है।

यूएन अभियानों में भारत के 5,424 सैनिक तैनात हैं

बहुपक्षीय शांति अभियानों में भारतीय सेना की हमेशा से ही जबर्दस्त मांग रही है और वह सबसे ज्यादा योगदान देने वाली सेनाओं में रही है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र अभियानों में भारत के कुल 5,424 कर्मी तैनात हैं। अभी तक भारत 71 संयुक्त राष्ट्र अभियानों में से 52 में अपने दो लाख सैनिक भेज चुका है।

संयुक्त राष्ट्र अभियानों में तैनाती के मामले में भारत पांचवें और चीन नौवें स्थान पर है

सूत्रों के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र अभियानों में तैनाती के मामले में वर्तमान में चीन नौवें स्थान पर है जबकि भारत का स्थान पांचवां है। इस मामले में बांग्लादेश शीर्ष पर है, उसने शांति अभियानों में अपने 6,726 कर्मी तैनात किए हैं। इसके बाद 6,725 सैनिकों के साथ इथियोपिया का स्थान है। 6,363 सैनिकों के साथ रवांडा तीसरे और 5,714 सैनिकों के साथ नेपाल चौथे स्थान पर है।

चीन की स्थिति बेहद खराब

एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि चीनी सेना की तैनाती कितनी प्रभावी होगी, आगामी वर्षों में यह देखने की जरूरत है क्योंकि पेशेवर रुख के मामले में उसकी स्थिति बेहद खराब है। 2016 में प्रतिकूल हालात पैदा होते ही दक्षिण सूडान में तैनात चीनी सैनिक अपनी पोस्ट छोड़कर भाग गए थे। दो राजनीतिक गुटों के बीच संघर्ष के दौरान जब उनकी पोस्टों पर हमले हुए तो वे हजारों नागरिकों को नि:सहाय छोड़कर बेस पर चले गए थे। हालांकि चीन ने इन आरोपों से इन्कार किया था।

दक्षिण सूडान में तैनाती के लिए भारतीय सैनिकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

इस बीच दक्षिण सूडान में तैनाती के लिए भारतीय सैनिकों के एक नए दल को इन दिनों प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वे इस महीने के आखिर में देश से रवाना होंगे और उससे पहले उनका दो बार कोरोना का टेस्ट भी किया जाएगा।


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