अब नेपाल पर चीन की नजर, आर्थिक मदद केे मामले में भारत को पछाड़ा
नेपाल को आर्थिक मदद देने के मामले में चीन ने भारत को पछाड़ दिया है। अब चीन, नेपाल के डोनर टॉप 5 की लिस्ट में शामिल हो गया है जबकि भारत इस लिस्ट से बाहर हो गया है।
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से ऐसा देखा जा रहा है कि हमारे पड़ोसी देश नेपाल की निकटता चीन के साथ कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। काठमांडू और बीजिंग की इस बढ़ती घनिष्ठता को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अभिमानपूर्ण फैसलों के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि उनके इस फैसलों से ये साफ जाहिर होता है कि यह भारत को नुकसान पहुंचाने वाला है।
अंग्राजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नेपाल में मधेशी आंदोलन के दौरान भारत बॉर्डर पर नाकेबंदी में अपनी भूमिका को पूरी तरह से नकार चुका है। इस नाकेबंदी से नेपाली की अर्थव्यवस्था को भयानक नुकसना पहुंचा था। अब भारत और नेपाल के संबंधों में भी भारी उठापटक की स्थिति चल रही है। स्थिति का फायदा उठाते हुए चीन ने नेपाल को आर्थिक मदद देने के मामले में भारत को पछाड़ दिया है।
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भारत की ओर से नेपाल को मदद में 50% की गिरावट
नेपाल सरकार की ऑफिशल डिवेलपमेंट असिस्टन्स (ओडीए) रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-2015 में भारत की तरफ से नेपाल को मिलने वाली मदद में 50 फीसद से ज्यादा की गिरावट आई है। यह साल राजग (एनडीए) सरकार के कार्यकाल का पहला साल था। इससे चीन को मौका मिला और वह इस मामले में भारत को पीछे छोड़ते हुए नेपाल को आर्थिक मदद देने वालों की लिस्ट में टॉप पर आ गया।
मददगारों की लिस्ट के टॉप 5 मेंं पहुंचा चीन
चीन ने इस दौरान नेपाल को 37.95 मिलियन डॉलर दिया जबकि भारत की तरफ से 22 मिलियन डॉलर नेपाल सरकार के ओडीए को मुहैया कराया गया। पिछले पांच सालों में यह पहली बार है जब नेपाल को मदद करने वाले देशों में इंडिया टॉप 5 में भी नहीं है। ब्रिटेन, अमेरिका और जापान के बाद चीन अभी इस मामले में चौथे नंबर पर है। इसके बाद स्विटजरलैंड है।
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नेपाल की हाल की डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन नेपाल में तकनीकी मदद भी कर रहे हैं। यह मदद दोनों देशों से स्कॉलरशिप, ट्रेनिंग और स्टडी टूर के रूप में दी जा रही है। इस तरह की मदद को ओडीए में मिलने वाली रकम में पूरी तरह से नहीं जोड़ा जाता है।
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दोनों देश नेपाल को मदद करने के मामले में बेहद महत्वपूर्ण हैं। पहले के सालों में दोनों देशों से मिलने वाली मदद को लेकर किसी की नजर नहीं होती थी। भारत ने नेपाल में आए भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के लिए 1,400 मिलियन डॉलर देने का वादा किया था जबकि चीन ने 766 मिलियन डॉलर मदद देने की घोषणा की थी।
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