द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के लिए चीन ने भारत से की बातचीत की पेशकश
बढ़ती हुई आमदनी और युवाओं की विशाल संख्या की वजह से सभी अंतरराष्ट्रीय मोबाइल एप कंपनियां भारत में आना चाहती हैं। ऐसे में चीनी की कंपनियों को बाजार से बाहर रख कर भारत सरकार ड्रैगन को कड़ा संकेत दे रही है।
नई दिल्ली, एजेंसी। चीन ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में भारत उसके एप को निशाना बना रहा है। उसने संबंधों को बेहतर बनाने का राग भी अलापा है और द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों को मजबूत करने के लिए परोक्ष रूप से बातचीत की पेशकश भी की है।
बार-बार प्रतिबंधित करने की कार्रवाई का चीनी दूतावास ने किया कड़ा विरोध
नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता कहा, 'हम राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर चीनी बैकग्राउंड वाली कंपनियों के एप को बार-बार प्रतिबंधित करने की कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हैं। चीन की सरकार ने अपनी कंपनियों को हमेशा से दूसरे देशों के कानून व स्थानीय नियमों का पालन करने और नैतिकता दिखाने के लिए कहा है। हमें उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी चीन समेत दूसरे देशों की कंपनियों को कारोबार के लिए साफ-सुथरी व निष्पक्ष माहौल उपलब्ध कराएंगे व विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ जा कर भेदभाव करने वाला नियम लागू नहीं करेंगे।'
कारोबारी रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए की बातचीत की पेशकश
प्रवक्ता ने आगे कहा है कि भारत व चीन एक दूसरे के लिए खतरा से ज्यादा संभावना बन सकते हैं। दोनों देशों को द्विपक्षीय कारोबार व व्यापार संबंधों को आपसी फायदे के लिए बातचीत के जरिये पटरी पर लाना चाहिए।
चीन की कंपनियों के लिए बड़ा धक्का
बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी कुछ इसी अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी है। सनद रहे कि भारत अभी तक चीन की कंपनियों से संबंधित कुल 220 मोबाइल एप को प्रतिबंधित कर चुका है। इसमें पबजी और वी चैट समेत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी आइटी कंपनी अली बाबा समूह के भी दर्जन भर से ज्यादा एप हैं। दुनिया में कारोबार विस्तार में जुटी चीन की कंपनियों के लिए यह बहुत बड़ा धक्का माना जा रहा है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट आधारित बाजार है
भारत अभी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट आधारित बाजार है। फेसबुक, वॉट्सएप से लेकर दुनिया की तमाम गेमिंग और डेटिंग एप कंपनियों के लिए भारत बहुत ही अहम बाजार है। बढ़ती हुई आमदनी और युवाओं की विशाल संख्या की वजह से सभी अंतरराष्ट्रीय मोबाइल एप कंपनियां भारत में आना चाहती हैं। ऐसे में चीनी की कंपनियों को बाजार से बाहर रख कर भारत सरकार ड्रैगन को कड़ा संकेत दे रही है। माना जाता है कि भारत यह कदम पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एलएसी ) पर चीन की आक्रामकता को देखते हुए उठा रहा है।