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कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बार फिर सवालों के घेरे में चीन की विश्वसनीयता

डाटा छिपाने की वजह से ब्राजील में चल रहे ट्रायल को लेकर संदेह। कोरोना वायरस को लेकर दुनिया को गुमराह करने वाला चीन अब वैक्सीन को लेकर भी डाटा छिपाने की कोशिश कर रहा है। दुनिया के सामने चीन की विश्वसनीय लगभग खत्म।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 08:54 AM (IST)
कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बार फिर सवालों के घेरे में चीन की विश्वसनीयता
कोरोना वैक्सीन को लेकर सवालों के घेरे में चीन। (फोटो: रायटर)

नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना वायरस को लेकर दुनिया को गुमराह करने वाला चीन अब इसके टीके को लेकर भी डाटा छिपा रहा है। इसके चलते दुनिया के सामने चीन की विश्वसनीय लगभग खत्म हो गई है। ब्राजील में उसकी कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को लेकर गंभीर संदेह पैदा हुए हैं। भारत और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में जहां कोरोना वैक्सीन के डाटा को लेकर पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। छोटे से छोटे डाटा को भी सार्वजनिक किया जा रहा है।

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चीन अपने यहां तो छोडि़ए दूसरे देश में भी, जहां उसकी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, डाटा को सार्वजनिक करने दे रहा है। पिछले हफ्ते ब्राजील ने कहा था कि चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटक द्वारा विकसित वैक्सीन उसके यहां ट्रायल में 50 फीसद प्रभावी पाई गई है। लेकिन ब्राजील की तरफ से ट्रायल के नतीजे नहीं जारी किए गए, क्योंकि चीनी कंपनी ने उसे डाटा सार्वजनिक नहीं करने की हिदायत दी थी।

ऐसा तीसरी बार हुआ, जब चीन की वैक्सीन के ट्रायल के पूरे नतीजों को जारी करने में देरी हुई। इससे फिर यह साबित हुआ कि चीन के वैक्सीन निर्माता कंपनियों में पारदर्शिता की कमी है। ब्राजील ऐसा पहला देश है, जहां चीन की वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हुआ है। हालांकि, एक महीने पहले कराए गए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया था कि ब्राजील के 50 फीसद से भी अधिक लोग चीन की वैक्सीन लेने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, 36 फीसद लोगों ने रूस की वैक्सीन नहीं लगाने की बात कही थी।

कम्युनिस्ट पार्टी के बाद नेपाली कांग्रेस को साधने में जुटा चीन

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में विभाजन रोकने के लिए काठमांडू आया चीन का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को प्रमुख विपक्षी नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा से मिला। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद भंग करने के बाद पैदा हुई राजनीतिक स्थिरता पर बातचीत हुई। 


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