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Rafale Fighter Plane and India: राफेल की क्षमता से चिंत‍ित है चीन और पाक, चीन के जे-20 चेंगदू पर भारी है ये लड़ाकू विमान, जानें खूबियां

राफेल की काट के लिए चीन और पाकिस्‍तान के पास कोई विकल्‍प नहीं है। राफेल भारतीय वायु सेना को वायु श्रेष्‍ठता प्रदान करेगा। इसके मुकाबले चीन के जे-20 चेंगदू में पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। हालांकि चीन के जे-20 का कोई युद्ध का अनुभव नहीं है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 03:41 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 11:16 PM (IST)
Rafale Fighter Plane and India: राफेल की क्षमता से चिंत‍ित है चीन और पाक, चीन के  जे-20 चेंगदू पर भारी है ये लड़ाकू विमान, जानें खूबियां
राफेल की क्षमता से चिंत‍ित है चीन और पाक। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। Rafale Fighter Plane and India: राफेल लड़ाकू विमान का नाम सुनकर चीन और पाकिस्‍तान में खलबली मची हुई है। राफेल की काट के लिए चीन और पाकिस्‍तान के पास कोई विकल्‍प नहीं है। निश्चित रूप से राफेल भारतीय वायु सेना को वायु श्रेष्‍ठता प्रदान करेगा। इसके मुकाबले चीन के जे-20 चेंगदू में पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। हालांकि, चीन के जे-20 का कोई युद्ध का अनुभव नहीं है। राफेल कई मिशनों पर सफल प्रदर्शन कर चुका है। राफेल की युद्ध क्षमता अफगानिस्‍तान, लीबिया, ईराक और सीरिया और माली में फ्रांसीसी वायु सेना के मिशन में साबित हो चुकी है। गति के मामले में यह पाकिस्‍तान के बड़े में शामिल एफ-16 को भी मात देता है। आइए जानते हैं राफेल विमानों की खासियत। भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल होने के बाद कितनी मजबूत होगी सेना।

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राफेल विमान की खासियत

  • राफेल लड़ाकू विमानों चीनी विमान जे-20 के मुकाबले अधिक ईंधन और हथ‍ियार लेकर जाने में सक्षम है। राफेल विमानों की अलग-अलग किस्‍म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले 14 हथियारों से लैस किया जा सकता है।
  • इन विमानों में सबसे एडवांस एयर टू एयर मिसाइलों में से एक मेटयोर लगा है। 190 किलोग्राम की इस मिसाइल में 100 किमी से अधिक की बियॉन्‍ड विजुअल रेंज है। यह मैक 4 की टॉप गति से उड़ान भरने में सक्षम है। गति के मामले में राफेल विमान पाकिस्‍तान के पास अमेरिकी विमान एफ-16 को भी पीछे छोड़ सकता है।
  • राफेल विमानों को जिन मुख्‍य अस्‍त्रों से लैस किया जाएगा उनमें स्‍कैल्‍प क्रूज मिसाइल, और मिका हथ‍ियार प्रणाली शामिल है। भारतीय वायु सेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्‍यम दूरी की मारक क्षमता वाली हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्‍याधुनिक हथियार प्रणाली हैमर भी खरीद रही है।
  • हैमर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है। इसका निशाना सटीक और अचूक है। इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है। इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना की जरूरता के मुताबिक डिजाइन किया गया है। मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्‍याधुनिक संस्‍करण है। इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
  • राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्‍य पर सीटक निशाना साधने के लिए जाना जाता है। 45 जेनरेशन वाले राफेल जेट ध्‍वनि की दोगुना रफ्तार से उड़ान भरने सकते हैं। इनकी हाई स्‍पीड 18 मैक है। ये विमान इलेक्‍टॉनिक युद्ध, एयर डिफेंस, ग्राउंड सपोर्ट और बड़े हमले करने में सक्षम है।

24 वर्ष पहले रूस से सुखाई विमानों की आइएएफ में शामिल

करीब 24 वर्ष पहले रूस से सुखाई विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी थी। स‍ितंबर, 2020 में भारत में पिछले करीब दो दशक से बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों की पहली खेप राफेल लड़ाकू विमानों के रूप में मिली थी। राफेल लड़ाकू विमानों को दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। पांच विमानों का यह बेड़ा सामरिक रूप से महत्‍वपूर्ण अंबाला वायुस्‍टेशन में उतरा था। उस वक्‍त सरकार ने कहा था कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी।

जुलाई के अंत तक राफेल लड़ाकू विमान की दूसरी स्क्वाड्रन का संचालन संभव

भारतीय वायु सेना के जुलाई के अंत तक राफेल लड़ाकू विमान की दूसरी स्क्वाड्रन का संचालन करने की संभावना है। इसे बंगाल के हाशिमारा वायु सेना अड्डे पर तैनात किया जाएगा। राफेल की पहली स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला वायु सेना स्टेशन पर तैनात है। पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची थी। इससे लगभग चार साल पहले भारत ने करीब 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था। वर्तमान में वायु सेना के पास लगभग 25 राफेल विमान हैं और शेष विमान 2022 तक आने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और उत्तरी सीमा की निगरानी करेगी। दूसरी स्क्वाड्रन भारत के पूर्वी सीमा क्षेत्र की निगरानी करेगी।


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