मेडिकल प्रवेश मामला: जस्टिस एसएन शुक्ला की उल्टी गिनती शुरू
मेडिकल कालेज के इस मामले के तार उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश आइएम कुदूसी के केस से भी जुड़ते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मेडिकल कालेज प्रवेश मामले में जांच के घेरे में आये इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला के खिलाफ की गई कार्रवाई और उनसे न्यायिक कामकाज वापस लिये जाने की जानकारी सरकार को भेज दी है। साथ ही कहा है कि आगे की कार्रवाई के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। जाहिर है कि ये इशारा जस्टिस शुक्ला को पद मुक्त करने की ओर है। यानि अगली कार्रवाई उन्हें पद से हटाने के लिए महाभियोग चलाने की अनुशंसा की होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज एसएन शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए लखनऊ के एक मेडिकल कालेज को 2017-18 के शैक्षणिक सत्र में छात्रों को प्रवेश देने की इजाजत दी थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कालेज को इस सत्र में छात्रों का प्रवेश लेने की इजाजत देने से मना कर दिया था। इस मामले में जज के खिलाफ शिकायत की इन हाउस प्रक्रिया अपनाते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंप दी है जिसमें जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों को सही बताया गया है। रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला के खिलाफ टिप्पणियों के साथ उन्हे पद से हटाने की सिफारिश की गई है।
प्रधान न्यायाधीश ने रिपोर्ट मिलने के बाद इन हाउस प्रक्रिया के प्रावधानों के मुताबिक जस्टिस शुक्ला से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने या फिर पद से इस्तीफा देने को कहा था लेकिन जस्टिस शुक्ला ने प्रस्ताव ठुकरा दिया था जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिलीप भोसले से जस्टिस शुक्ला का न्यायिक कामकाज वापस लेने को कहा था। करीब एक सप्ताह पहले जस्टिस शुक्ला का न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश ने सरकार को पत्र भेज कर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दी है। साथ ही कहा है कि आगे जो कार्रवाई की जाएगी उससे अवगत कराया जाएगा। यानी इसके बाद जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। किसी भी न्यायाधीश को सिर्फ महाभियोग के जरिये ही पद से हटाया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश इन हाउस प्रक्रिया के तहत की गई जांच की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को लिखेंगे। ऐसा ही कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के बारे में हुआ था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने जस्टिस सेन को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को लिखा था और उसके बाद सेन के खिलाफ संसद में महाभियोग चला था हालांकि महाभियोग की प्रक्रिया पूरी होने से पहले जस्टिस सेन ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मेडिकल कालेज के इस मामले के तार उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश आइएम कुदूसी के केस से भी जुड़ते हैं जिसमे कुदुसी पर आरोप है कि उन्होंने मेडिकल कालेज का मनमाफिक फैसला दिलाने के एवेज मे रिश्वत ली थी। इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। नियम के मुताबिक किसी भी वर्तमान जज के खिलाफ एफआइआर या पूछताछ नहीं हो सकती। इसके लिए पहले प्रधान न्यायाधीश से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे में अगर जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की कार्रवाई शुरू होती है तो आने वाले दिन उनके लिए और मुश्किल भरे हो सकते हैं।