चिदंबरम ने कहा- आर्थिक पैकेज जीडीपी का एक फीसद भी नहीं, सरकार ने नहीं दी नकद राहत सहायता
चिदंबरम ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अपने घोषित वित्तीय पैकेज पर पुनर्विचार करते हुए वाकई राहत पैकेज दें।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने आर्थिक पैकेज के 20 लाख करोड़ होने के दावों को बेहद हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से चरमरा गई है मगर इस हालत में भी सरकार ने बजट से अलग नकद राहत सहायता नहीं दी है। जब पैकेज में बजट के अतिरिक्त वित्तीय मदद न हो तो उसे राहत पैकेज नहीं कहा जा सकता। चिदंबरम ने कहा कि 20 लाख करोड़ के बड़े पैकेज का दावा असलियत में केवल 1 लाख 86 हजार 650 करोड़ रुपये का है जो जीडीपी का एक फीसद भी नहीं है।
आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन- पूरा पैकेज जीडीपी का 0.80 से लेकर 1.5 फीसद के बीच है
चिदंबरम ने प्रेस कांफ्रेंस में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की पांच दिन की सभी घोषणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आर्थिक विशेषज्ञों व एजेंसियों का आकलन है कि पूरा पैकेज जीडीपी का 0.80 से लेकर 1.5 फीसद के बीच है और उनका अपना आकलन है कि राहत पैकेज केवल 0.91 फीसद है न कि 10 फीसद जैसा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने एलान किया था।
चिदंबरम ने कहा- संकट के दौर में मामूली मदद से हर वर्ग निराश
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के गंभीरतम संकट के दौर में इस मामूली मदद से हर वर्ग में निराशा है। इसीलिए सरकार को आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार कर इसमें बड़े सुधार करने चाहिए।
पैकेज के नाम पर अधिकांश बातें बजट घोषणाओं में पहले से ही शामिल हैं
चिदंबरम ने पैकेज पर अपनी बातों को सही साबित करने के लिए सरकार के बजट से अलग आवंटन का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि पैकेज के नाम पर पांच दिन के वित्तमंत्री के धारावाहिक में अधिकांश बातें बजट घोषणाओं में पहले से ही शामिल हैं।
सरकार का एक्सपेंडीचर बजट 30,42,230 करोड रुपये
सरकार का एक्सपेंडीचर बजट 30,42,230 करोड रुपये है और इसके अतिरिक्त जो खर्च सरकार ने पैकेज में घोषित किया है वह उसमें टैक्स छूट से राजस्व नुकसान का 7500 करोड रुपये, पीएम गरीब कल्याण पैकेज में नकद ट्रांसफर का 35000 करोड़ रुपये, मुफ्त में अनाज बांटने का 60,000 करोड़, कोरोना महामारी से लड़ने के लिए हेल्थ व मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का 15000 करोड़, ईपीएफ दर में कटौती का 6750 करोड़, सरकार ने ईपीएफ में जो मदद दी है उसका 2800 करोड़, प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज का 3500 करोड़, शिशु मुद्रा लोन सब्सिडी का 1500 करोड़ रुपये ही वित्तीय मदद का हिस्सा शामिल है।
चिदंबरम ने कहा- पैकेज 20 लाख करोड़ का नहीं महज 1,86,650 करोड़ रुपये का है
इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड के 8000 करोड़ और ऑपरेशन ग्रीन के 500 करोड़ रुपये को भी इसी वित्त वर्ष की मदद में हम गिन लेते हैं। इसी तरह हर्बल खेती प्रमोशन के लिए दो साल में 4000 करोड़ रुपये और इस वित्त वर्ष की वायवलिटी गैप फंडिंग के 8100 करोड़ के साथ मनरेगा के लिए आवंटित 40000 करोड़ रुपये सब मिला दें तो भी कुल पैकेज 1,86,650 रुपये से एक पैसा भी ज्यादा नहीं है।
चिदंबरम ने कहा- पैकेज में सबसे ज्यादा अनदेखी प्रवासी मजदूरों और गरीबों की हुई
चिदंबरम ने कहा कि इस मामूली पैकेज से साफ है कि इसमें सबसे ज्यादा अनदेखी प्रवासी मजदूरों और गरीबों की हुई है। सरकार ने उद्योग, एमएसएमई, व्यापारी, व्यापारी, दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वाले और मध्यम वर्ग को भी गंभीर रूप से निराश किया है। इस निराशा को देखते हुए ही हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अपने घोषित वित्तीय पैकेज पर पुनर्विचार करते हुए वाकई राहत पैकेज दे जिसमें इधर-उधर से आंकड़ों डालने और केवल कर्ज लेने का बात न हो।