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छत्तीसगढ़: मटरिंगा गांव में पानी की समस्या से परेशान होकर निवासियों ने निकाला हल

पानी की समस्या को दूर करने के लिए निवासियों ने अपने क्षेत्र से कुछ किलोमीटर दूर एक जल स्रोत से जुड़कर पाइपलाइनों का जाल बिछाया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 09:05 AM (IST)
छत्तीसगढ़: मटरिंगा गांव में पानी की समस्या से परेशान होकर निवासियों ने निकाला हल
छत्तीसगढ़: मटरिंगा गांव में पानी की समस्या से परेशान होकर निवासियों ने निकाला हल

रायपुर, एएनआइ। कोरोना वायरस के बीच छत्तीसगढ़ के मटरिंगा गांव में लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ा रहा है। इस बीच पानी की समस्या को दूर करने के लिए निवासियों ने अपने क्षेत्र में इसका हल ढूंढ निकला है। ग्रामीणों ने खुद कुछ किलोमीटर दूर एक जल स्रोत से जुड़कर पाइपलाइनों का जाल बिछाया है। गांव के सरपंच ने बताया कि उन्होंने इंजीनियर की सलाह से यह कार्य किया। पानी की समस्या से तंग आकर ग्रामीणों ने खुद ही जमीन खोदी कर पाइपलाइन का जला बिछाने का कार्य किया।

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सरपंच ने बताया कि गांव में पानी की तीव्र समस्या है। पानी के स्रोत से पानी लाना मुश्किल था। हमने एक इंजीनियर से सलाह ली और ग्रामीणों ने जमीन खोदी और हमने इसे पानी के स्रोत से जोड़ते हुए पाइपलाइन बिछाई। यहां कुछ पानी के बोरिंग हैं, लेकिन पानी का स्तर कम होने के कारण वे बेकार हैं। 

बता दें कि 15 सितंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का धमधा नगर, जहां लोगों ने बारिश की एक-एक बूंद को बचाने की जुगत लगा रखी है। नालियां और नहर बनाकर नगर के 35 में से 25 तालाबों को आपस में जोड़ा गया है। यह तंत्र कुछ इस तरह है कि यहां-वहां बह जाने वाला या खेतों में भर जाने वाला बरसात का पानी अब नालियों से होकर नहर में और फिर नहर से एक-एक कर सभी तालाबों में पहुंच जाता है।

इस युक्ति के बूते तालाबों में बारह माह भरपूर पानी बना रहता है। इससे धमधा समेत आसपास के कई गांवों में सिंचाई और उपयोग के लिए पानी की समस्या नहीं रही है। भूजल स्तर भी ऊंचा रहने से पेयजल का संकट नहीं है। राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर है धमधा नगर। बारिश के दौरान दूर-दराज खेतों में भर जाने वाला और बह कर नदी में मिल जाने वाला पानी अब नहरों के जरिए चार-पांच किलोमीटर दूर से इन तालाबों में पहुंच जाता है। सभी खेतों को नालियों के जरिये बड़ी नहर (बूढ़ा नरवा) से जोड़ा गया है, जो तालाबों को पूरी तरह से भर देने के बाद अतिरिक्त पानी को शिवनाथ नदी में ले जाती है।


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