छत्तीसगढ़ : कोरोना लॉकडाउन में 'सीख' कार्यक्रम बना बच्चों की पढ़ाई का सहारा
सीख कार्यक्रम में स्कूली पाठ्यक्रमों पर तैयार वीडियो के जरिये बच्चों को खेल-खेल में रोचक तरीके से पढ़ाया जा रहा है।
जगदलपुर, अनिल मिश्रा। कोरोना लॉकडाउन में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई न रुके, इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ऑनलाइन क्लास शुरू की है, लेकिन बस्तर के जंगलों में नेटवर्क नहीं होने के कारण यह सफल नहीं हो पा रही है। ऐसे में यूनिसेफ यहां के लिए 'सीख' कार्यक्रम लेकर आया है। इसमें स्कूली पाठ्यक्रमों पर तैयार वीडियो के जरिये बच्चों को खेल-खेल में रोचक तरीके से पढ़ाया जा रहा है। कांकेर छोड़कर बस्तर संभाग के सभी छह जिलों में यह कार्यक्रम चल रहा है। इसमें बच्चों के साथ शिक्षकों और अभिभावकों को भी जोड़ा गया है।
यूनिसेफ ने इसके लिए बस्तर में चार हजार वालिंटियर की टीम तैयार की है। ये यूनिसेफ के वीडियो को अभिभावकों के मोबाइल फोन में डाउनलोड करा रहे हैं। शिक्षक गांवों में जाकर बच्चों को एकत्र करते हैं और उन्हें खेल-खेल में पढ़ाते हैं। वीडियो में रोचक कहानियों से लेकर गणित व विज्ञान तक के पाठ्यक्रम हैं। यह इतने सरल हैं कि बच्चों और अभिभावकों को आसानी से समझ आ जाते हैं। जैसे गिनती सिखाने और शून्य का महत्व बताने के लिए आम की गणना का वीडियो दिखाया जाता है।
कोरोना के दौर में गांव के बड़े मैदानों में क्लास ली जाती है। इसमें शारीरिक दूरी और मास्क लगाने का पूरा खयाल रखा जाता है। सप्ताह में तीन दिन ये कक्षाएं संचालित की जाती हैं। सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों में इसे अनिवार्य किया गया है। इससे बच्चों का स्कूल से मोहभंग नहीं होगा।
छिंदगढ़ में चल रहीं कक्षाएं
सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक में 285 स्कूलों में सीख कार्यक्रम चल रहा है। ब्लॉक को 27 क्लस्टर में बांटकर 30-35 बच्चों के समूहों को ट्रेनिंग दी जा रही है। 5881 बच्चे इस कार्यक्रम से जुड़े हैं। सुकमा जिले में 1026 स्कूल हैं पर ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ 343 स्कूलों में ही चल रही है। बीजापुर जिले में पांच सौ वालिंटियर तैनात किए गए हैं। नक्सल इलाकों में 60 फीसद गांव इंटरनेट विहीन होने के कारण बाधा आ रही है।
चंदन कुमार, कलेक्टर, सुकमा
बच्चों व उनके माता-पिता के साथ समूह की सहभागिता पर केंद्रित कार्यक्रम छिंदगढ़ ब्लॉक में चल रहा है। इसके बेहतर परिणाम नजर आ रहे हैं। आगामी दिनों में इस कार्यक्रम का विस्तार अन्य ब्लॉकों में भी करने की तैयारी है। सीख कार्यक्रम से बच्चे पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों से भी जुड़े हैं। इससे बच्चों का शाला त्याग भी थमेगा।