छत्तीसगढ़ : मासूम बच्ची और बुजुर्ग समेत नौ लोगों की हत्या करने वाले को उम्र कैद
35 वर्षीय ग्रामीण पांडू राम नगरिया हमेशा गुस्से में रहता था। तीन मार्च 2013 को उसने पत्नी और बच्चे के साथ मारपीट की थी इसके कारण पत्नी अपने बच्चे को लेकर मायके चली गई। घटना दिवस चार अप्रैल 2013 को आरोपित पांडू राम घर पर अकेला था।
अंबिकापुर, जेएनएन। बलरामपुर जिले के सामरी पाट के ग्राम बहेराटोली में करीब सात वर्ष पूर्व पांच नाबालिग सहित नौ लोगों की टांगी से मारकर हत्या करने वाले आरोपित को रामानुजगंज जिला सत्र न्यायालय के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शैलेश अच्युत पटवर्धन की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार 35 वर्षीय ग्रामीण पांडू राम नगरिया हमेशा गुस्से में रहता था। तीन मार्च 2013 को उसने पत्नी और बच्चे के साथ मारपीट की थी, इसके कारण पत्नी अपने बच्चे को लेकर मायके चली गई। घटना दिवस चार अप्रैल 2013 को आरोपित पांडू राम घर पर अकेला था। दोपहर 12.30 बजे अचानक उस पर सनक सवार हुआ और वह घर से अपने हाथ में टांगी लेकर बाहर निकला। उसके सामने जो भी आता उसे मारता चला गया। उस समय घर के बाहर पड़ोस की मचकी बाई उम्र 50 वर्ष जो चटाई बीन रही थी, उसी के पास कलंगी बाई उम्र 60 वर्ष बैठी हुई थी। दोनों की टांगी से मारकर हत्या कर दी। कुछ ही दूरी पर स्थित हैंडपंप से पानी भर रहे ललकी नगेसिया 60 वर्ष और उसकी चार साल की नाबालिग नतिनी को भी मार दिया। उसी हैंड पंप के पास खेल रही तीन वर्षीय बालिका को भी उसने टांगी से मारकर हत्या कर दी।
इसके बाद आरोपित पांडु राम पड़ोस के लालसाय नगेसिया के घर घुस गया और वहां पर सीतामुनि 25 वर्ष, उसकी दो वर्षीय पुत्री को सोते हुए अवस्था में मार डाला। कुछ ही दूरी पर खेल रही 10 वर्ष एवं तीन वर्ष की दो बालिकाओं की भी उसने हत्या कर दी। किसी तरह गांव वासी एकत्र हुए और हिम्मत जुटाकर हत्यारे को पकड़ लिया। इसकी सूचना सामरी थाना को दी गई। पुलिस ने अभियुक्त के पास से कपड़ा और टांगी बरामद कर ली। सामरी पुलिस ने जांच के बाद मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया। संपूर्ण गवाहों एवं बयानों के आधार पर विद्वान न्यायाधीश शैलेश अच्युत पटवर्धन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्राणघातक चोट पहुंचा कर निर्ममता से कई मासूम की हत्या कारित कर जघन्य अपराध कार्य किया गया है। आरोपित द्वारा असहाय महिलाओं, जो घर में सो रही महिला एवं सार्वजनिक स्थान पर खेल रही अबोध बालिकाओं को क्रूरता पूर्वक लोहे की टांगी से मारकर उनकी हत्या की गई है।
अभियुक्त का यह कृत्य अनैतिक, असामाजिक, विधि प्रतिकूल, हृदय विदारक एवं वेदनापूर्ण है। अभियुक्त द्वारा कार्य अपराध की अत्यंत गंभीर प्रकृति को दृष्टिगत रखते हुए दंडित किया जाना उचित प्रतीत है। हत्या के पृथक पृथक अपराध हेतु धारा 302 के अंतर्गत प्रत्येक मृतक के संबंध में कारित प्रत्येक अपराध के आरोप हेतु दोष सिद्ध किया गया है। अभियुक्त को पृथक-पृथक रूप से धारा 302 (नौ बार) आजीवन सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। इस सुनवाई में शासन की ओर से लोक अभियोजक विपिन बिहारी सिंह थे।