Move to Jagran APP

रामपुर के नवाब खानदान के स्ट्रॉन्ग रूम को बनाने वाली 'चब कंपनी' के मुरीद थे जॉर्ज चतुर्थ

200 साल पुरानी इस कंपनी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। जॉर्ज चतुर्थ इसके तालों के मुरीद थे तो शरलॉक होम्स की कहानियों में भी इसका जिक्र मिलता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 08:55 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 11:54 AM (IST)
रामपुर के नवाब खानदान के स्ट्रॉन्ग रूम को बनाने वाली 'चब कंपनी' के मुरीद थे जॉर्ज चतुर्थ
रामपुर के नवाब खानदान के स्ट्रॉन्ग रूम को बनाने वाली 'चब कंपनी' के मुरीद थे जॉर्ज चतुर्थ

नई दिल्ली, जेएनएन। रामपुर के नवाब खानदान में बंटवारे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। इसका कारण है, स्ट्रॉन्ग रूम का न टूट पाना। तमाम कोशिशों के बाद अब इसे बाद में काटा जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम में एक नाम बार-बार सामने आया और वो है चब कंपनी। चब वही कंपनी है, जिसने यह स्ट्रॉन्ग रूम बनाया था। 200 साल पुरानी इस कंपनी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। जॉर्ज चतुर्थ इसके तालों के मुरीद थे, तो शरलॉक होम्स की कहानियों में भी इसका जिक्र मिलता है।

prime article banner

ब्रिटिश सरकार की प्रतियोगिता

1817 में इंग्लैंड के पोर्ट्समाउथ डॉकयार्ड में एक चोरी हुई। चोरी के लिए दूसरी चाबी का इस्तेमाल किया गया था। इस चोरी ने ब्रिटिश सरकार को ताला बनाने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित करने की प्रेरणा दी। पोर्ट्समाउथ में जहाजों के लिए काम करने वाले जेरेमिया चब ने अपने भाई चार्ल्स के साथ मिलकर डिटेक्टर ताले का आविष्कार किया और उसे पेटेंट कराया। जेरेमिया ने चार लिवर का ताला बनाया था जो गलत चाबी लगने के बाद काम करना बंद कर देता था और फिर नई चाबी लगानी पड़ती थी। इस खोज के लिए जेरेमिया ने सरकार से 100 पौंड के पुरस्कार का दावा किया।

कंपनी का आगाज

दोनों भाइयों ने मिलकर 1820 में खुद की कंपनी चब स्थापित की और पोर्ट्समाउथ से विलेनहॉल आ गए। विलेनहॉल को उस वक्त ब्रिटेन की ताला बनाने की राजधानी कहा जाता था। दोनों ने यहां फैक्ट्री स्थापित की। इस कंपनी को उस वक्त ख्याति मिली जब 1823 में जॉर्ज चतुर्थ ने विशेष लाइसेंस से सम्मानित किया। साथ ही कंपनी को डाकघर और जेलों के लिए ताले बनाने की जिम्मेदारी दे दी।

शरलॉक होम्स की कहानियों में जिक्र

किस्से कहानियों में ताला बनाने वाली कंपनी का नाम आना किसी अजूबे से कम नहीं है। हालांकि, चब कंपनी के तालों का जिक्र शरलॉक होम्स की कहानियों में मिलता है। ऑर्थर कॉनन डायल की लघु कथाओं ए स्कैंडल इन बोहेमिया और द एडवेंचर ऑफ गोल्डन प्रिंस नेज में शरलॉक होम्स को हम चब तालों का जिक्र करते हुए पाते हैं। वहीं, विलियम गिब्सन के उपन्यास न्यूरोमेंसर में भी चब तालों की तारीफ में कसीदे कढ़े गए हैं।

यह है मामला

रामपुर के नवाब खानदान में इन दिनों बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरबों की संपत्ति को 16 हिस्सेदारों में शरियत के अनुसार बांटा जाना है। नवाब खानदान की कोठी खासबाग में यह स्ट्रॉन्ग रूम है और काफी मशक्कत के बाद भी इसे काटा नहीं जा सका है। जिसके बाद काम रोक दिया गया है और यह पता लगाया जा रहा है कि किन धातुओं से स्ट्रॉन्ग रूम का निर्माण किया गया है।

नहीं रुके कदम

चब बंधु शुरुआत में ताले ही बनाते रहे। हालांकि, बाद में उन्होंने तालों से अधिक सुरक्षित मानी जाने वाली तिजोरियों का निर्माण शुरू किया। 1835 में पहली चब तिजोरी बनाई गई। वहीं 1838 में अग्निरोधी तिजोरी बनाई। चब बंधुओं की मृत्यु के बाद कंपनी को उनके पुत्रों ने संभाला। प्रथम विश्व युद्ध के समय कंपनी ने युद्ध उत्पादों का निर्माण और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 17 देशों में कारोबार शुरू किया। 1984 से 1992 तक चब रेकल इलेक्ट्रॉनिक का अंग रहा। 1997 में इसे विलियम होल्डिंग्स लिमिटेड ने खरीद लिया। बाद में इसे एस्सा एब्लोय ने अपना हिस्सा बनाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.