70 साल बाद देश में फिर से रफ्तार भरेंगे चीते, इन्हें रखा जाएगा मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में
70 वर्षों के बाद देश में चीतों को बसाने की तैयारी जोरों पर है। यदि सब कुछ तय योजना के तहत हुआ तो इस साल के अंत तक देश की जमीन पर चीते फिर से रफ्तार भरते दिखेंगे। पहली खेप में फिलहाल इनका एक पूरा कुनबा लाया जाएगा।
अरविद पांडेय, नई दिल्ली। 70 वर्षों के बाद देश में चीतों को बसाने की तैयारी जोरों पर है। यदि सब कुछ तय योजना के तहत हुआ तो इस साल के अंत तक देश की जमीन पर चीते फिर से रफ्तार भरते दिखेंगे। पहली खेप में फिलहाल इनका एक पूरा कुनबा लाया जाएगा, जिनमें एक नर और एक मादा वयस्क के साथ करीब चार बच्चे भी होंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत अगले पांच वर्षों में करीब 35 से 40 चीतों को देश में लाने की तैयारी है।
सभी चीते नामीबिया सहित अफ्रीकी देशों से लाए जाएंगे
सभी चीते नामीबिया सहित अफ्रीकी देशों से लाए जाएंगे। चीतों को लाने की तैयारी के बीच फिलहाल अभी सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन्हें रखा कहां जाएगा। हालांकि अब तक मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों की रुचि सामने आ चुकी है। मध्य प्रदेश ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए इन पर होने वाले पूरे खर्च को उठाने का भी प्रस्ताव दिया है।
चीतों के लिए अनुकूल ठिकानों की तलाश जारी
बावजूद इसके पर्याप्त भोजन की उपलब्धता और वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर चीतों के लिए अनुकूल ठिकानों की तलाश जारी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित उच्च स्तरीय कमेटी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की देखरेख में भारतीय वन्यजीव संस्थान इस काम को तेजी से अंजाम देने में जुटा हुआ है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान: मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में चीतों को रखा जाएगा
भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीमों ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अभयारण्यों का दौरा किया है। इसकी रिपोर्ट भी पर्यावरण मंत्रालय को दी है। इसके तहत फिलहाल मध्य प्रदेश का कूनो-पालपुर ही एक मात्र ऐसा अभयारण्य है, जहां चीतों को लाकर तुरंत रखा जा सकता है। इस अभयारण्य में उनके लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध है। साथ ही उनके अनुकूल रहवास भी मौजूद है।