Move to Jagran APP

भारत में मिलता है दुनिया का सबसे सस्ता मोबाइल डाटा और मलावी में ये है सबसे महंगा

भारत में मोबाइल डाटा दूसरे देशो के मुकाबले कहीं ज्‍यादा सस्‍ता है। इसका फायदा सीधेतौर पर यूजर्स को मिलता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 09:57 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 09:57 AM (IST)
भारत में मिलता है दुनिया का सबसे सस्ता मोबाइल डाटा और मलावी में ये है सबसे महंगा
भारत में मिलता है दुनिया का सबसे सस्ता मोबाइल डाटा और मलावी में ये है सबसे महंगा

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। कोरोना महामारी में वर्क फ्रॉम होम से लेकर शिक्षा आदि तक सभी चीजें अब इंटरनेट पर आश्रित हैं। ऑनलाइन पर बढ़ती निर्भरता के इस युग में इंटरनेट डाटा की कीमत काफी अहमियत रखती है। दुनिया के विभिन्न देशों में यह कीमत अलगअलग है, लेकिन कितनी अलग है यह जानकर आप चौंक जाएंगे। सबसे सस्ते और सबसे महंगे डाटा के मध्य 30 हजार फीसद का अंतर है। भारत में दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट डाटा उपलब्ध है, वहीं मलावी में आपको सबसे महंगा मोबाइल डाटा मिलेगा। यह विभिन्न देशों में व्याप्त असमानता को बताता है और इसका असर पढ़ाई से शोध तक हर क्षेत्र पर पड़ता है। आइए जानते हैं कि दुनिया के देशों में क्या है मोबाइल डाटा की कीमत।

loksabha election banner

पांच साल में एक अरब नए उपभोक्ता दुनिया में अरबों लोग रोजाना मोबाइल का उपयोग करते हैं। महामारी के दौर में भी मोबाइल डाटा बाजार ने अपनी उड़ान को जारी रखा है। पिछले पांच सालों में करीब एक अरब अतिरिक्त लोगों ने मोबाइल डाटा तक पहुंच हासिल की है। इसके बढ़ते प्रचलन के बावजूद अलग-अलग देशों में इसकी कीमतें अलग-अलग हैं। 155 विभिन्न देशों में मोबाइल डाटा की कीमत के आंकड़े केबलडॉटकोडॉटयूके ने जुटाए हैं।

इसलिए है मोबाइल डाटा में भिन्नता: शोधकर्ताओं ने कई प्रमुख तत्वों की पहचान की है, जिसके जरिए मोबाइल डाटा की लागत को जाना जा सकता है। ये चार कारण इस प्रकार हैं।

1- मौजूदा बुनियादी ढांचा: ज्यादातर मोबाइल नेटवर्क फिक्स लाइन कनेक्शन पर भरोसा करते हैं। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा बुनियादी ढांचे वाले देश सस्ती कीमत पर लोगों को अधिक डाटा वाला प्लान देने में सक्षम होते हैं। भारत और इटली में ऐसा ही है। वहीं जिन देशों में बुनियादी ढांचा नहीं है, वहां पर उपग्रह जैसे महंगे विकल्पों पर निर्भर होना पड़ता है और इसके कारण यह लागत उपभोक्ता से वसूली जाती है।

2- मोबाइल डाटा पर विश्वास: जब किसी क्षेत्र में मोबाइल डाटा, इंटरनेट का प्राथमिक स्नोत होता है तो इसका इस्तेमाल सभी के द्वारा किया जाता है। ऐसे में यह उच्च मांग प्रतिस्पद्र्धी प्रदाताओं में वृद्धि करती है और इसके कारण कीमत में कमी आती है। किर्गिस्तान इसका अच्छा उदाहरण है।

3- डाटा की कम खपत: जिन देशों में बुनियादी ढांचा कमजोर है, वहां के लोग कम डाटा का इस्तेमाल करते हैं। इसके चलते मोबाइल प्लान भी कम डाटा के होते हैं। इस कारण से प्रति जीबी लागत ज्यादा हो जाती है। मलावी और बेनिन जैसे देशों के जरिए इसे समझा जा सकता है।

4- उपभोक्ताओं की औसत आय: अपेक्षाकृत धनी देश मोबाइल सेवाओं के लिए ज्यादा शुल्क लेते हैं, क्योंकि जनसंख्या आमतौर पर अधिक भुगतान कर सकती है। साथ ही कई बार एक ही नेटवर्क प्रदाता होने के कारण भी कीमत अधिक होती है। जर्मनी, स्विट्जरलैंड और कनाडा में इसी कारण से एक जीबी की कीमत अपेक्षाकृत काफी ज्यादा है।

भारत में कम क्यों है डाटा की कीमत

भारत में प्रति जीबी डाटा की औसत कीमत 0.09 डॉलर (करीब 6.72 रुपए) है। डाटा सस्ता होने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारक रिलायंस जियो का बाजार में उतरना है। 2016 में रिलायंस जियो को लॉन्च किया गया और ग्राहकों को बहुत ही सस्ते प्लान दिए गए। जिसके बाद दूसरी कंपनियों को भी अपनी कीमतों को घटाना पड़ा और पूरे देश में कीमतें कम हो गई।

ये भी पढ़ें:- 

खुशखबरी! बीते 6 वर्षों में चीन से आयात के मुकाबले भारत से निर्यात में 40 फीसद का इजाफा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.