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बिगड़े ऋतु चक्र से वनस्पतियों के व्यवहार में आया बदलाव, समय से पूर्व खिल रहे फल और फूल

नैनीताल व उसके आसपास के क्षेत्र में पिछले दो-तीन साल से बुरांश समय से पहले खिलने लगा है। वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी की टीम इस बदलाव पर शोध में जुटी थी कि मुनस्यारी में काफल हिसालू और बेड़ू भी समय से पहले फल-फूल देने लग गए।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 10:21 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 10:21 PM (IST)
बिगड़े ऋतु चक्र से वनस्पतियों के व्यवहार में आया बदलाव, समय से पूर्व खिल रहे फल और फूल
साल दर साल तापमान बढ़ने से जलवायु में हो रहा परिवर्तन

जागरण टीम, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन की चपेट में मैदान से लेकर हिमालयी राज्य तक आ रहे हैं। बिगड़े ऋतु चक्र से वनस्पतियों के व्यवहार में भी बदलाव स्पष्ट नजर आ रहा है। हिमालयी क्षेत्र के ठंडे इलाकों मुनस्यारी व नैनीताल में पहले अप्रैल अंत तक खिलने वाले बुरांश के फूल जनवरी में ही खिलने लगे हैं। इसी तरह मैदानी इलाकों में गेहूं और आम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। साल दर साल तापमान बढ़ने से जलवायु में आ रहे इस अप्रत्याशित बदलाव से विज्ञानी भी चिंतित हैं। वे इस बदलाव को प्रकृति की चेतावनी करार देते हुए अवैज्ञानिक मानवीय क्रियाकलापों पर लगाम लगाने की नसीहत भी दे रहे हैं।

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समय से पहले खिलने लगा बुरांश

नैनीताल व उसके आसपास के क्षेत्र में पिछले दो-तीन साल से बुरांश समय से पहले खिलने लगा है। वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी की टीम इस बदलाव पर शोध में जुटी थी कि मुनस्यारी में काफल, हिसालू और बेड़ू भी समय से पहले फल-फूल देने लग गए। इतना ही नहीं अल्मोड़ा के हवालबाग में कटहल का पेड़ भी फरवरी में ही कटहल से लद गया है। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि करीब चार माह पहले ही वनस्पतियों में फूल व फल आने से परागण करने वाले कीट के भी भटकने और पलायन का खतरा है। इससे पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ेगा।

बढ़ते तापमान से घट रही पैदावार 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गेहू विज्ञानी डा. ओपी बिश्नोई बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग फसलों पर वास्तव में बड़ा प्रभाव छोड़ रही है। जैसे गेहूं के दानों को पकने और अच्छी गुणवत्ता के लिए तय तापमान चाहिए होता है। मगर ग्लोबल वाìमग के कारण तापमान बढ़ने से देखा जा रहा है कि गेहूं के दाने जल्द पक रहे हैं, लेकिन आकार सिकुड़ गया है। वहीं, प्रति एकड़ पैदावार भी घट रही है।

छत्तीसगढ़ में आम के बौर में फफूंद लग गए

मौसम के फरवरी में ही गर्म होने और तापमान में अचानक वृद्धि के कारण छत्तीसगढ़ में आम के बौर में फफूंद लग गए हैं। बौर सूखकर गिरने लगे हैं। नुकसान की आशंका देखते हुए कृषि विज्ञानियों ने पेड़ के चारों ओर गड्ढा खोदकर पानी भर देने और छोटे पेड़ों पर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है।

सेंटर फार क्लाइमेट चेंज इन उत्तराखंड के भूविज्ञानी प्रोफेसर जीवन सिंह रावत ने कहा कि यह प्रकृति की चेतावनी है। सर्दी में गरम वनस्पति प्रजातियों में फलीकरण हो या ऋषिगंगा में हालिया ग्लेशियर का टूटना। इसका कारण तापवृद्धि ही है। हिमालय में ऋतु चक्र बिगड़ चुका है। अवैज्ञानिक विकास, वनाग्नि आदि से वैश्विक तापवृद्धि की दर तीव्रता से बढ़ रही है।


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