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सात वर्षों तक चंद्रमा के फेरे लगाता रहेगा चंद्रयान-2, यान में पर्याप्त ईंधन मौजूद, सभी उपकरण कर रहे काम

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 बखूबी काम कर रहा है और इसमें अभी भी इतना ईंधन है कि वह और सात सालों तक चंद्रमा के चक्कर लगा सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 11:36 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 08:44 AM (IST)
सात वर्षों तक चंद्रमा के फेरे लगाता रहेगा चंद्रयान-2, यान में पर्याप्त ईंधन मौजूद, सभी उपकरण कर रहे काम
सात वर्षों तक चंद्रमा के फेरे लगाता रहेगा चंद्रयान-2, यान में पर्याप्त ईंधन मौजूद, सभी उपकरण कर रहे काम

बेंगलुरु, पीटीआइ। भारत के चंद्रमा तक पहुंचने के दूसरे अभियान चंद्रयान-2 को एक साल पूरा हो गया है। चंद्रमा की कक्षा में यह यान पिछले 12 महीनों से चक्कर लगा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का कहना है कि मौजूदा समय में यह बखूबी काम कर रहा है और इसमें अभी भी इतना ईंधन है कि वह और सात सालों तक चंद्रमा के ऐसे ही चक्कर लगा सकता है। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को लांच किया गया था और यह पिछले साल ही 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बयान जारी करके बताया कि चंद्रमा की सतह पर रोवर को ले जाने वाले लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग तो नहीं हो पाई थी, लेकिन आठ वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित यह अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था और यान के आर्बिटर ने इस एक साल की अवधि में चंद्रमा के चार हजार से अधिक फेरे लगाए हैं। चंद्रयान-2 अभी तक सही तरह से काम कर रहा है और इसके हाई रेज्युलूशन कैमरों समेत सभी उपकरण अपना काम सही तरीके से कर रहे हैं।

चंद्रयान-2 का अभियान चंद्रमा की सतह की प्रकृति, खनिज विज्ञान और रासायनिक समीकरणों के गहन अध्ययन के लिए भेजा गया था। इस बीच इसरो के प्रमुख के. सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में सुधारवादी कदम उठाने का यह मतलब नहीं है कि इसरो का निजीकरण किया जा रहा है। बल्कि यह भागीदारी का विशेष आग्रह है। सिवन ने एक वर्चुअल कांफ्रेंस में कहा कि हम हमारे सौरमंडल के आंतरिक रूप को परिभाषित करेंगे।

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने कहा था कि वह चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के रोवर प्रज्ञान के चांद की सतह पर सही सलामत उतरने के दावों की जांच कर रहा है। दरअसल, चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम के मलबे को तलाश वाले शनमुग सुब्रमण्यम ने दावा किया था कि ऐसा लगता है कि रोवर प्रज्ञान सही सलामत विक्रम से बाहर निकला था और कुछ दूर तक चला भी था। बयान में यह भी कहा गया था कि लैंडर अपने कमांड को रोवर तक भेजा हो लेकिन संपर्क टूट जाने की वजह से वह धरती तक नहीं आ पाया हो। 


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