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अप्रैल में लांच होगा चंद्रयान-2 दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की तैयारी

चंद्रयान-1 की कामयाबी के बाद अगले अभियान की तैयारी में जुटा है इसरो

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 10:43 AM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 11:43 AM (IST)
अप्रैल में लांच होगा चंद्रयान-2 दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की तैयारी

नई दिल्ली (प्रेट्र)। चांद पर फिर से उपग्रह भेजने का स्वदेशी अभियान यानी चंद्रयान-2 को इसी साल अप्रैल में प्रक्षेपित किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो पहली बार अपने यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश करेगा। इसरो के विभागीय प्रभारी जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को बताया कि भारत के चंद्रयान-1

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अभियान ने ही पहली बार चांद पर पानी की खोज की थी। चंद्रयान-2 इसी अभियान का विस्तार है। यह अभियान मानव को चांद पर उतारने जितना ही अच्छा है।

प्रक्षेपण की उपयुक्त अवधि इस साल अप्रैल और नवंबर

इसरो के नवनियुक्त चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि भारत के दूसरे चंद्रयान अभियान की लागत करीब 800 करोड़ रुपये है। यह यान चंद्रमा के अब तक अछूते रहे दक्षिणी ध्रुव के राज खंगालेगा। चंद्रयान-2 इसरो का पहला ऐसा यान है जो किसी दूसरे ‘ग्रह’ की जमीन पर अपना यान उतारेगा। सिवन ने बताया कि इस अभियान को प्रक्षेपित करने की उपयुक्त अवधि इस साल अप्रैल और नवंबर में है। फिलहाल इसे अप्रैल में प्रक्षेपित किया जाएगा। अगर किसी कारणवश अप्रैल में यह संभव नहीं हुआ तो इसे नवंबर में प्रक्षेपित किया जाएगा।

दक्षिणी ध्रुव पर हैं दस लाख साल पुरानी चट्टानें

इसरो के चेयरमैन सिवन के अनुसार दक्षिणी ध्रुव पर यान भेजने का मकसद उस जगह का बहुत ही रहस्यमय होना है। वहां पर बनीं चट्टानें दस लाख साल पुरानी हैं। इतनी प्राचीन चट्टानों के अध्ययन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इसका दूसरा मकसद अब तक चंद्रमा के इस इलाके का अछूता रहना है। दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई भी अभियान नहीं गया है। पिछले सालों में अब तक ज्यादातर यान चंद्रमा के भूमध्य रेखा के आसपास ही उतरते थे।

अंतरिक्ष में भारत की ताकत, अब इस मिशन में जुटा देश; जानें- क्या होगा प्रभाव

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 को सफल बनाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है। इसरो ने अपने पहले चंद्र मिशन में स्पेसक्राफ्ट के साथ पीएसएलवी रॉकेट को चंद्रमा की कक्षा में लैंड किया था। लेकिन इस बार भारी पेलोड उठाने वाला जीएसएलवी एमके द्वितीय 2390 किलोग्राम वजन वाले अंतरिक्ष यान का शुभारंभ करेगा क्योंकि मॉड्यूल एक ऑर्बिटर, एक रोवर और लैंडर को चाँद तक ले जाएगा।

इसरो के अध्यक्ष डॉ. सिवान ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में मिशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चंद्रयान -2 चुनौतीपूर्ण मिशन है , क्योंकि हम पहली बार एक कक्षा, एक लैंडर और एक रोवर को चंद्रमा पर ले जाएंगे। लांच अप्रैल में होना है जिसमें कुछ ही समय बचा है। इसे श्रीहरिकोटा से इसे लॉन्च किया जाएगा और लॉन्च होने के एक से दो महीनों में यह यान चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच जाएगा। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3,82,000 किलोमीटर दूर है।

ऐसे काम करेगा चंद्रयान-2

डॉ. सिवान ने बताया कि चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद, लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा। लैंडर के अंदर लगे 6-पहिए वाले रोवर अलग हो जाएंगे और चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़ेंगे। रोवर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक रह पाएगा और 150-200 किमी तक चलने में सक्षम होगा।

इसरो के चेयरमैन ने कहा, 'रोवर फिर 15 मिनट के भीतर चंद्रमा की सतह के आंकड़े और छवियों को पृथ्वी पर भेज देगा। 14 दिनों के बाद रोवर स्लीप मोड में जाएगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि एक बार फिर रोवर काम करेगा जब चांद पर धूप होगी और उसके सोलर सेल दोबारा रिचार्च होंगे।' 


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