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Chandrayaan-2: सही रास्ते पर चंद्रयान-2, तीसरी बार बदला ऑर्बिट, जानें- क्या है मिशन का उद्देश्य

Chandrayaan-2 इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 को योजना के मुताबिक सोमवार दोपहर तीन बजकर 12 मिनट पर कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया। यह चंद्रयान की कक्षा में तीसरा बदलाव है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 11:25 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 11:25 PM (IST)
Chandrayaan-2: सही रास्ते पर चंद्रयान-2, तीसरी बार बदला ऑर्बिट, जानें- क्या है मिशन का उद्देश्य
Chandrayaan-2: सही रास्ते पर चंद्रयान-2, तीसरी बार बदला ऑर्बिट, जानें- क्या है मिशन का उद्देश्य

बेंगलुरु, प्रेट्र । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'रोवर' उतारने के इरादे से भेजे गए भारत के दूसरे चंद्र मिशन की सभी गतिविधियां सामान्य हैं। इसरो ने जानकारी दी है कि चंद्रयान-2 को सोमवार को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया।

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इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 को योजना के मुताबिक सोमवार दोपहर तीन बजकर 12 मिनट पर कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया। यह चंद्रयान की कक्षा में तीसरा बदलाव है। कक्षा में परिवर्तन के लिए चंद्रयान में मौजूद प्रोपेलिंग सिस्टम का 989 सेकेंड तक इस्तेमाल किया गया। इसरो ने बताया कि यान को 276 गुणा 71792 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा गया है। खास बात यह है कि अंतरिक्ष यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं। इसरो ने कहा कि कक्षा में यान को चौथी बार और ऊंचाई पर ले जाने का कार्य दो अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर दो से तीन बजे के बीच किया जाएगा।

पहली और दूसरी बार कक्षा में परिवर्तन क्रमश: 24 और 26 जुलाई को कराया गया था। इसरो के मुताबिक चंद्रमा के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश करने पर चंद्रयान-2 के प्रोपेलिंग सिस्टम का इस्तेमाल अंतरिक्ष यान की गति धीमी करने में किया जाएगा, जिससे यह चंद्रमा की प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश कर सके। इसके बाद चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान-2 को पहुंचाया जाएगा।

फिर लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के चारों ओर 100 गुणा 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की प्रक्रिया में जुट जाएगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर लैंडर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा की सतह पर एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) की अवधि तक प्रयोग करेगा। ऑर्बिटर अपने मिशन पर एक वर्ष की अवधि तक रहेगा।

क्या है मिशन का उद्देश्य

चंद्रयान-2 के मिशन का उद्देश्य चांद के उस हिस्से (दक्षिणी) की जांच-पड़ताल करना है जहां अब तक कोई यान नहीं पहुंच सका है। यान चांद में जीवन की संभावनाओं संबंधी कई शोध करेगा।

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