जानिए आखिर ICICI बैंक की पहली महिला CEO को क्यों देना पड़ा इस्तीफा
फोर्ब्स द्वारा वर्ष 2017 में विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में शामिल ICICI बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के इस्तीफा देने के बाद से सुर्खियों में हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। फोर्ब्स द्वारा वर्ष 2017 में विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में शामिल आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के इस्तीफा देने के बाद से सुर्खियों में हैं। पिछले वर्ष वह इस सूची में 32वें नंबर पर थीं। इससे पहले वर्ष 2016 की फॉर्च्यून मैगजीन की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में भी वे 5वें नंबर पर थीं, जबकि इसी साल फोर्ब्स की ओर से जारी लिस्ट में उन्हें 10वां स्थान दिया गया था। कोचर आईसीआईसीआई बैंक की पहली महिला CEO थीं। मैनेजमेंट ट्रेनी से बैंक की सीईओ तक पहुंचने वानी कोचर का पूरा सफर काफी दिलचस्प रहा है। कोचर का जन्म राजस्थान के जोधपुर में 17 नवंबर, 1961 में हुआ था। जब वह 13 वर्ष की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया था।
मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर शुरू किया था करियर
शुरुआती पढ़ाई जयपुर से करने के बाद वह मुंबई आ गईं। वहां उन्होंने जय हिंद कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन किया। कोचर ने एक बार अपने बारे में बताया था कि वह आईएएस बनना चाहती थीं, लेकिन बड़े होने के बाद उनका रुझान वहां से हटकर फाइनेंस की तरफ हो गया। उन्होंने मुंबई के जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने 1984 में ICICI बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर नौकरी ज्वाइन की थी। 25 साल बाद उसी कंपनी में 2009 में पहली महिला CEO बनी।
कमर्शियल बैंक में आईसीआईसीआई की एंट्री
आईसीआईसीआई ने जब 1993 में कमर्शियल बैंकिंग में एंट्री का फैसला किया तो उन्हें आईसीआईसीआई बैंक के कोर टीम में रखा गया था। बैंक के रिटेल बिजनेस को सेटअप करने में कोचर का काफी अहम योगदान रहा। कमर्शियल बैंकिंग शुरू करने के आठ साल बाद 2001 में उन्हें रिटेल बिजनेस का हेड बनाया गया और उन्होंने एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम शुरू किया। फिर अप्रैल 2006 में उन्हें डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। कोचर को 1 मई 2009 से आईसीआईसीआई बैंक का सीईओ बनाया गया। चंदा कोचर को भारत में रिटेल बैंकिंग को दिशा देने के लिए खास तौर से जाना जाता है।
इस्तीफा देने का कारण
आपको बता दें कि उनके बैंक प्रमुख के पद से इस्तीफा देने का तानाबाना दरअसल मार्च से ही बुनना शुरू हो गया था। उस वक्त एक अंग्रेजी अखबार ने यह दावा किया था कि वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को आईसीआईसीआई बैंक ने अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया। इसके बाद ग्रुप ने इस ऋण के 2810 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। इसके बाद ऋण को 2017 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया। बाद में वीडियोकॉन की मदद से बनी एक अन्य कंपनी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी गई। 94.99 फीसदी होल्डिंग वाले ये शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए।
छुट्टी पर भेज दी गईं चंदा
इस कर्ज के बाद वीडियोकॉन के चेयरमैन वेनूगोपाल धूत ने 64 करोड़ रुपये का निवेश चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नू पॉवर रिन्यूएबल में किया था। जिसके बाद मामले में बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति की मुश्किलें बढ़ गईं। इस मामले का खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को 19 जून 2018 से ही छुट्टी पर भेज दिया गया था।
संदीप बख्शी लेंगे कोचर की जगह
आपको बता दें कि आईसीआईसीआई ने व्हिसल ब्लोअर के आरोपों के बाद चंदा कोचर के खिलाफ स्वतंत्र जांच का फैसला लिया था। वीडियोकॉन को ऋण देने के इस मामले में चंदा कोचर और उनके परिवार के सदस्यों की मिलीभगत का आरोप है। सेबी ने चंदा कोचर को इस संबंध में नोटिस भेजा था। इसके बाद ही चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ के पद से इस्तीफा दिया। कोचर ने बोर्ड से अपील की थी कि उन्हें जल्द रिटायरमेंट दे दिया जाए, जिसे मंजूर करते हुए उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। हालांकि इस्तीफा मंजूर करने के बाद भी बोर्ड ने साफ कर दिया है कि कोचर के रिटायरमेंट के फायदों पर मौजूदा जांच के पूरी होने के बाद ही फैसला होगा। पिछले 4 महीने से वह छुट्टी पर चल रही थीं। उनकी जगह अब बैंक ने संदीप बख्शी को मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ बनाया गया है। उनकी नियुक्ति 5 साल के लिए की गई है।
2.18 लाख रुपए था एक दिन का वेतन
आपको बता दें कि बैंक की प्रमुख के तौर रहते हुए चंदा कोचर का एक दिन का वेतन करीब 2.18 लाख रुपए था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में कॉन्ट्रैक्ट बोनस, भत्ता और मुनाफा, प्रोविडेंट फंड, रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी फंड मिलाकर चंदा कोचर का कुल वेतन 4.76 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 6.09 करोड़ रुपए किया गया था। इसके अलावा 2.20 करोड़ रुपए का बोनस भी उन्हें दिया गया। पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले भत्ते और लाभ में भी 47 फीसद की बढ़ोत्तरी की गई थी। कोचर के इस्तीफा देने के बाद बैंक के शेयर में तेजी आई और यह 3 फीसदी चढ़कर 313 रुपए पर पहुंच गया। ICICI सिक्योरिटी का शेयर भी 1.75 फीसदी चढ़ गया।
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