गंगा सफाई से जुड़ी एजेंसियों में तालमेल बड़ी चुनौती, 11 केंद्रीय मंत्रालयों से करार
गंगा में प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1100 से अधिक औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट गंगा में गिर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' योजना को लागू करने की जिम्मेदारी बदलकर दूसरे तेज तर्रार और सक्रिय मंत्री नितिन गडकरी दो तो दे दी है, लेकिन यह किसी एक की सक्रियता से दुरुस्त होना संभव नहीं है। गडकरी के लिए गंगा की सफाई से जुड़ी एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती होगी। गंगा की सफाई के काम में फिलहाल केंद्र और राज्यों के दर्जनभर से अधिक विभाग अपनी-अपनी तरह से भूमिका निभा रहे हैं।
वैसे तो केंद्र में गंगा के लिए अलग मंत्रालय और इसके अधीन 'राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन' (एनएमसीजी) के रूप में एक समर्पित संस्था है लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है। व्यवहार में एनएमसीजी की भूमिका काफी सीमित है। यही वजह है कि एनएमसीजी ने गंगा की सफाई में सहयोग के लिए करीब दर्जनभर मंत्रालयों के साथ करार किया है।
एनएमसीजी के महानिदेशक यूपी सिंह के मुताबिक अब तक 11 केंद्रीय मंत्रालयों से करार हो चुके हैं। इनमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय से लेकर कौशल विकास मंत्रालय तक शामिल हैं। 'नमामि गंगे' के क्रियान्वयन में जटिलता का अहसास गडकरी को भी है। यही वजह है कि उन्होंने जल मंत्रालय का पदभार संभालते ही कहा कि गंगा का काम सिर्फ एक विभाग का नहीं है, यह कई मंत्रालयों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि वह टास्क फोर्स बनाकर इससे निपटने की कोशिश करेंगे।
गंगा में प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1100 से अधिक औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट गंगा में गिर रहा है। इसके अलावा शहरों से 3520 एमएलडी सीवेज गंगा में गिर रहा है। ऐसे में इसे रोकने के लिए ठोस क्रियान्वयन की जरूरत है।
सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 50 साल पुरानी तकनीक
गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि समय के साथ-साथ इतनी सारी एजेंसियां और विभाग गंगा के काम से जुड़ गए हैं लेकिन नतीजा सबके सामने है। इनके बीच समन्वय करना अपने आप में चुनौती है। हम सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 50 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। गंगा के किनारे जो शहर बसे हैं वहां के स्थानीय निकायों से लेकर संबंधित विभागों तक किसी को भी यह चिंता नहीं है कि इस नदी में प्रदूषण कैसे रोका जाए।
गंगा नदी के किनारे तीन आइआइटी
गंगा नदी के किनारे तीन आइआइटी स्थित हैं लेकिन उन्होंने भी यह चिंता नहीं की उनके शहर से गंगा में जाने वाले घरेलू और औद्योगिक प्रदूषण को साफ करने की क्या तकनीक अपनायी जाए। गंगा के लिए नेशनल रिवर एक्ट लाने की बात कागज और फाइलों में सीमित है। केवल एनएमसीजी को निदेशालय में बदलने का काम हुआ है।
तालमेल बिठाना चुनौती
राज्यों में भी गंगा को निर्मल बनाने की योजना को लागू करने के लिए जल बोर्ड से लेकर, स्थानीय निकायों तक कई संस्थाएं हैं। शहरों में जमीन नगर विकास प्राधिकरणों के पास हैं जबकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जिम्मेदारी जल निगम या बोर्ड की है। निगरानी का जिम्मा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है। ऐसे में इन सबके बीच तालमेल बिठाना चुनौती है।
कानून के बिना गंगा साफ नहीं होगी
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि जब तक संसद से कानून पारित नहीं करेंगे और अपराध तथा सजा मुकर्रर नहीं करेंगे तब तक गंगा साफ नहीं होगी। उन्होंने कहा कि एनएमसीजी में कोई गैर सरकारी सदस्य नहीं है। जब तक समाज इस अभियान से नहीं जोड़ा जाता तब तक नदियों को बचाने में सफलता नहीं मिलेगी।
गंगा की सफाई में प्रमुख मंत्रालयों और विभागों की भूमिका
केंद्र
1. जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण
2. शहरी विकास मंत्रालय
3. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
4. पेयजल औच् स्वच्छता मंत्रालय
5. कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
राज्य
1. स्थानीय निकाय
2. जल बोर्ड या जल निगम
3. नगर विकास
4. सिंचाई विभाग
5. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड