केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, लोकतंत्र में बाधा पैदा कर सकता है इंटरनेट
केंद्र सरकार ने देश में सोशल मीडिया प्लेटफार्म के संचालन को नियंत्रित करने वाले नियमों को अंतिम रूप देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और तीन महीने का वक्त मांगा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता जताई। सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि इंटरनेट लोकतांत्रिक राजनीति में अकल्पनीय व्यवधान पैदा करने वाले शक्तिशाली हथियार के रूप में उभरा है। सरकार ने देश में सोशल मीडिया प्लेटफार्म के संचालन को नियंत्रित करने वाले नियमों को अंतिम रूप देने और उन्हें अधिसूचित करने के लिए और तीन महीने का वक्त मांगा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा कि यद्यपि की प्रौद्योगिकी से आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास हुआ है, इसके साथ ही अभद्र भाषा, फर्जी खबरें और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में तेजी से वृद्धि भी हुई है। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश वकील रजत नायर के मेंशन करने के बाद हलफनामे को रिकॉर्ड पर ले लिया।
रजत नायर ने सूचना प्रौद्योगिकी मध्यवर्ती संस्थाएं दिशानिर्देश (संशोधन) नियम, 2018 को अंतिम रूप देने के लिए और तीन महीने का समय मांगा। यह हलफनामा फेसबुक की ट्रांसफर याचिका पर दायर किया गया। फेसबुक ने तीन हाईकोर्ट में सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने से संबंधित दायर मामलों को ट्रांसफर करने की अपील की है। ये याचिकाएं मद्रास, बांबे और मध्य प्रदेश हाई कोर्टो में लंबित हैं।
बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अब वक्त आ गया है जब सोशल मीडिया जैसे तमाम ऑनलाइन खतरों से बचने के उपाय किए जाएं। यही नहीं शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, चरित्र हनन, झूठी एवं फर्जी खबरें फैलाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई थी। अदालत ने ऐसा करने वालों की पहचान करने की तकनीक विकसित करने पर भी जोर दिया था। अब सरकार ने भी सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर यह गंभीर बात कहकर शीर्ष अदालत की टिप्पणी पर मुहर लगा दी है।