रक्षा खरीद में 'मेक इन इंडिया' पर जोर
तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए मोदी सरकार के पहले बड़े फैसले में 'मेक इन इंडिया' की छाप साफ दिखी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए मोदी सरकार के पहले बड़े फैसले में 'मेक इन इंडिया' की छाप साफ दिखी। 80 हजार करोड़ रुपये के रक्षा खरीद सौदे में लगभग 77 हजार करोड़ रुपये की खरीद भारतीय कंपनियों से होगी, जिनमें 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने वाले छह अत्याधुनिक पनडुब्बियां शामिल हैं। विदेश से होने वाली खरीद में केवल इजरायल में निर्मित टैंकरोधी मिसाइल इसके लांचर को जगह मिली है।
रक्षामंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में लगभग दो घंटे तक चली रक्षा खरीद परिषद की बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख के साथ-साथ डीआरडीओ के प्रमुख भी उपस्थित थे। इसमें नौसेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए छह अत्याधुनिक पनडुब्बियां बनाने का फैसला किया गया। 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से ये पनडुब्बियां देश में ही बनाई जाएंगी। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम छह हफ्ते के भीतर देश के निजी व सरकारी बंदरगाहों में उपलब्ध सुविधाओं का अध्ययन कर रिपोर्ट देगी और उसके बाद चयनित बंदरगाह पर इनका निर्माण शुरू होगा। ये पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन (एआइपी) क्षमता से लैस होंगी, जिससे ये अधिक समय तक पानी के भीतर रह सकेंगी। इसके साथ ही इसमें बेहतर स्टेल्थ टेक्नोलाजी का प्रयोग किया जाएगा, ताकि दुश्मन की नजर से ये छुपी रह सकें।
रक्षा खरीद परिषद ने एक मात्र विदेशी खरीद में भी अमेरिका की जगह इजरायल को तरजीह दी है। अमेरिका लंबे समय से भारत को जैवलिन टैंक रोधी मिसाइल बेचने की लॉबिंग कर रहा था, लेकिन उसके बजाय इजरायल से 8,356 टैंकरोधी गाइडेड मिसाइल खरीदने का फैसला किया गया। इसपर कुल 3200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन मिसाइलों के चलाने के लिए सेना अलग से 321 मिसाइल लांचर भी खरीदेगी।
चीनी सीमा पर लगातार घुसपैठ की घटनाओं से निपटने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने 12 डोनियर टोही विमान खरीदने को भी मंजूरी दी है। ये विमान हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड से 1850 करोड़ रुपये में खरीदे जाएंगे। परिषद ने 662 करोड़ रुपये से मेडक के आयुध कारखाना बोर्ड से 36 इंफेट्री फाइटिंग व्हीकल खरीदने का फैसला किया है। इसके साथ नौसेना के विशेष दस्ते के लिए बड़े पैमाने पर हथियार व साजो सामान खरीदने का फैसला किया गया है, लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। बैठक में जेटली ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानती है और सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों और साजोसामान की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जरूरत के मुताबिक सरकार तत्काल इन्हें खरीदने का फैसला करेगी।