केंद्र सरकार ने बच्चों के शोषण से निपटने के लिए डीएम को दिया कार्रवाई का हक
महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय ने सलाह दी है कि शोषण के शिकार बच्चों को चिकित्सकीय सुविधा दिया जाना जरूरी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय ने बाल गृहों और आश्रय स्थलों में बच्चों के शोषण के मामलों से निपटने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे गुमराह हुए संस्थानों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का अधिकार दिया है। हाल में बाल कल्याण केंद्रों में बच्चों के यौन शोषण की कई रिपोर्ट आने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने डीएम को सीधी कमान सौंपते हुए यह एडवाइजरी जारी की है।
गुमराह बाल गृहों के खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट को सीधी कमान
दो पेज की एडवाइजरी में कहा गया है कि बाल गृहों और बच्चों से जुड़ी अन्य संस्थाओं में रह रहे बच्चों के शोषण या उन्हें उचित सुविधाएं न मिलने की सूरत में सरकार की यह पहली प्राथमिकता होगी कि वह उनकी सुरक्षा और उनकी अच्छी देखभाल के लिए तत्काल कदम उठाए। एडवाइजरी में कहा गया कि संस्थानों और बाल कमेटियों के सेवाएं देने और कल्याणकारी कदम उठाने में विफल होने पर जिला मजिस्ट्रेट को यह जिम्मेदारियां तत्काल प्रभाव से संभालनी होंगी।
24 घंटे में पीडि़त को चिकित्सकीय सुविधा व मनोवैज्ञानिक परामर्श देना जरूरी
मंत्रालय ने सलाह दी है कि शोषण के शिकार बच्चों को चिकित्सकीय सुविधा दिया जाना जरूरी है। इसके अलावा, 24 घंटे के अंदर उन्हें मनोवैज्ञानिक इलाज और परामर्श भी दिया जाना जरूरी है। जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह जिले में ऐसे संस्थानों में पीडि़त बच्चों की मनोवैज्ञानिक देखभाल के लिए मनोवैज्ञानिकों का एक पैनल तैयार करे।
जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे संस्थानों के प्रबंधन और स्टाफ को भी बदलने का अधिकार दिया गया है। ऐसे में बच्चों को उसी संस्थान में रखा जा सकता है या आवश्यकतानुसार उन्हें किसी दूसरे संस्थान में भी भेजा जा सकता है। जिला मजिस्ट्रेट को इन बच्चों की पहचान भी किसी भी सूरत में मीडिया और आम जनता के समक्ष जाहिर नहीं करनी है।