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पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में स्थानांतरित करने से केंद्र सरकार ने किया मना

सरकार ने कहा है कि पहले से किसी विधायी कोष (एनडीएरएफ) के होने से पीएम केयर्स जैसा स्वैच्छिक योगदान वाला अलग भिन्न कोष बनाने की मनाही नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:28 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:28 PM (IST)
पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में स्थानांतरित करने से केंद्र सरकार ने किया मना
पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में स्थानांतरित करने से केंद्र सरकार ने किया मना

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूं तो पीएम केयर्स फंड को लेकर राजनीतिक जंग भी जारी है। अब जबकि यह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है तो सरकार ने एक याचिका विरोध करते हुए स्पष्ट कहा कि इसका कोष एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फंड) में नहीं दिया जा सकता है। सरकार ने कहा है कि पहले से किसी विधायी कोष (एनडीएरएफ) के होने से पीएम केयर्स जैसा स्वैच्छिक योगदान वाला अलग भिन्न कोष बनाने की मनाही नहीं है। 

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सीपीआइएल ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा 

दरअसल, गैर सरकारी संगठन सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेश (सीपीआइएल) ने हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने याचिका खारिज करने की अपील करते हुए अन्य दलीलों के अलावा याचिका दाखिल करने वाली संस्था पर भी सवाल उठाया है। कहा है कि इस संस्था के नाम से ही स्पष्ट है कि यह संस्था सिर्फ जनहित याचिकाएं दाखिल करने के लिए बनाई गई है। जबकि जनहित याचिका की अवधारणा है उन लोगों की बात कोर्ट तक पहुंचाना जो कि स्वयं कोर्ट नहीं आ सकते। सिर्फ जनहित याचिका दाखिल करने के लिए एक संस्था का होना इस अवधारणा के खिलाफ है। 

पहले भी कई फंड स्‍थापित किए गए 

सरकार का कहना है कि डिजास्टर मैनेजमेंट कानून के तहत एनडीआरएफ है जिसका बजट के तहत केन्द्र सरकार प्रावधान करती है और राज्यों में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड होता है। इसमे किसी तरह का प्राइवेट कंट्रीब्यूशन नहीं होता है। सरकार का कहना है कि अभी और पहले भी विभिन्न कामों और राहतों के लिए विभिन्न फंड स्थापित किये गए हैं। पीएम केयर्स फंड भी उसी तरह का स्वैच्छिक दान का कोष है।

डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 46 के तहत एनडीआर फंड है। लेकिन एक विधाई फंड के होने से पीएम केयर्स जैसा भिन्न स्वैच्छिक दान वाला कोष स्थापित करने की मनाही नहीं है। पीएम केयर्स फंड एनडीआरएफ से भिन्न है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 जून को कोरोना महामारी से निपटने के संबंध में दाखिल की गई सीपीआइएल की जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।


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