खनन पर रोक के असर का आकलन करेगी केंद्र, राज्य सरकार से मांगी आकलन रिपोर्ट
गोवा में खनन रुकने के बाद न केवल इसमें लगे प्रत्यक्ष रोजगार पर असर होगा बल्कि इस क्षेत्र में आने वाला संभावित निवेश भी प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगले महीने की 16 तारीख से गोवा में खनन पर लगने वाली रोक का कितना असर होगा इसका आकलन राज्य सरकार तो कर ही रही है, केंद्र भी इसकी कवायद शुरू कर रहा है। खनन रुकने के बाद न केवल इसमें लगे प्रत्यक्ष रोजगार पर असर होगा बल्कि इस क्षेत्र में आने वाला संभावित निवेश भी प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
रोजगार और निवेश पर असर पड़ने की आशंका से केंद्र सरकार भी सतर्क है। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से इसका आकलन कर रिपोर्ट देने को कहा है। राज्य सरकार ने दस दिन के भीतर इसका आकलन करने का भरोसा दिया है। राज्य सरकार की तरफ से रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार आगे की रणनीति तय करेगी।
गोवा मिनरल एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का मानना है कि राज्य में खनन से प्रत्यक्ष तौर पर 60 हजार लोग जुड़े हैं। जबकि इन पर निर्भर इनके परिवार के लोगों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या डेढ़ से दो लाख के बीच हो जाती है। खनन बंद होने के बाद प्रदेश की आबादी का यह हिस्सा सीधे प्रभावित होगा। प्रदेश में खनन उद्योग का मौजूदा आकार करीब 4000 करोड़ रुपये का है।
एसोसिएशन ने राज्य के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा है कि खनन बंद होने का सबसे अधिक प्रभाव राज्य के खजाने पर होगा। 20 एमटीपीए की अधिकतम सीमा के बावजूद राज्य का खनन उद्योग प्रदेश की जीडीपी में 10-12 फीसद का योगदान करता है। आकलन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद माना जा रहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के संबंध में निर्णय लेगी।