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ओबीसी सब-कैटेगराइजेशन का फार्मूला राज्यों पर नहीं होगा बाध्यकारी, सिर्फ केंद्रीय स्तर पर होगा लागू

विकास की दौड़ में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पिछड़ी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र का ओबीसी आरक्षण को सब-कैटेगराइज करने का फार्मूले अभी भले ही नहीं आया है लेकिन यह तय है कि यह राज्यों के लिए कतई बाध्यकारी नहीं होगा।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 10:07 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 10:07 PM (IST)
ओबीसी सब-कैटेगराइजेशन का फार्मूला राज्यों पर नहीं होगा बाध्यकारी, सिर्फ केंद्रीय स्तर पर होगा लागू
ओबीसी सब-कैटेगराइजेशन का फार्मूला राज्यों पर नहीं होगा बाध्यकारी। (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकास की दौड़ में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पिछड़ी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र का ओबीसी आरक्षण को सब-कैटेगराइज करने का फार्मूले अभी भले ही नहीं आया है, लेकिन यह तय है कि यह राज्यों के लिए कतई बाध्यकारी नहीं होगा। यह सिर्फ केंद्र के स्तर पर लागू होगा। इसका लाभ केंद्र सरकार से जुड़ी नौकरियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के दाखिले में मिलेगा। देश के करीब दर्जन भर राज्यों में ओबीसी आरक्षण का पहले ही कैटेगराइजेशन किया जा चुका है।

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ओबीसी आरक्षण के सब-कैटेगराइजेशन को लेकर गठित रोहणी आयोग ने फिलहाल इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की है। आयोग के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक संसद से हाल ही में ओबीसी आरक्षण पर राज्यों के अधिकार बहाल करने को लेकर पारित किए संविधान संशोधन विधेयक के बाद राज्य पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। वे पहले की तरह ओबीसी से जुड़ी जातियों की पहचान करने, राज्य सूची में शामिल करने और सब-कैटेगराइजेशन का फैसला ले सकेंगे।

इस नए कानून के बाद केंद्र के कैटेगराइजेशन फार्मूले को मानना उनके लिए बाध्यकारी नहीं है। खास बात यह है कि केंद्र ने ओबीसी आरक्षण के कैटेगराइजेशन को लेकर जस्टिस जी रोहणी की अगुआई में एक आयोग गठित कर रखा है, जो इस दिशा में वैज्ञानिक तरीके से काम कर रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही वह अपनी रिपोर्ट भी केंद्र को सौंप देगा। आयोग का यह गठन केंद्र ने अक्टूबर 2017 में किया था।

गौरतलब है कि ओबीसी को लेकर मौजूदा समय में केंद्र और राज्य की सूची अलग-अलग है। केंद्र की सूची में ओबीसी की करीब 26 सौ जातियां हैं। हालांकि ओबीसी की कई जातियां ऐसी भी हैं, जो राज्य की सूची में तो शामिल हैं, लेकिन केंद्र की सूची में नहीं हैं।

फिलहाल चार से पांच श्रेणियों में बंटवारे का प्लान

आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण का जो प्लान बनाया गया है, उनमें ओबीसी की बड़ी जातियों को ज्यादा आरक्षण मिलेगा। यह करीब 10 फीसद तक होगा। इन जातियों की संख्या करीब सौ है। हालांकि अब तक ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ यही अगड़ी जातियां लेती रही हैं। इस बीच ओबीसी की करीब 16 सौ ऐसी जातियां भी चिह्नित की गई हैं, जिन्हें अब तक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला है। हालांकि इनकी संख्या बेहद कम है। ऐसे में इन जातियों को भी अब दो से तीन फीसद आरक्षण देने की योजना बनाई गई है। बाकी करीब 14 फीसद आरक्षण को ओबीसी की बाकी जातियों के बीच दो से तीन श्रेणियों में बांटने का खाका तैयार किया गया है।

इन 11 राज्यों में पहले से ही है कैटेगराइजेशन

ओबीसी आरक्षण के कैटेगराइजेशन को लेकर केंद्र ने भले ही अब सक्रियता दिखाई है, लेकिन 11 राज्य ऐसे हैं, जहां पहले से ही ओबीसी आरक्षण का कैटेगराइजेशन हो चुका है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं। इसके अलावा भी कई राज्यों में इस पर तेजी से काम चल रहा है।


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