महामारी से अनाथ हुए बच्चों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने बढ़ाए हैं हाथ, यहां से लें पूरी जानकारी
कोरोना महामारी ने देश और दुनिया में लाखों बच्चों से उनके मां-बाप का साया छीन लिया है। इन बच्चों के सामने कई सारी दिक्कतें आ गई हैं। हालांकि भारत में केंद्र और राज्य सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कोरोना महामारी से जूझते हुए भारत समेत पूरी दुनिया को 21 माह बीत चुके हैं। ये महामारी ने पूरी दुनिया में अब तक 4822223 लोगों की जान ले चुकी है। भारत में ही अब तक इसकी वजह से 449,283 लोगों की जान जा चुकी है। इसका एक सबसे बुरा प्रभाव उन बच्चों पर भी पड़ा है जिन्होंने इस महामारी में अपने माता-पिता को खोया है। पूरी दुनिया में इस तरह के बच्चों की संख्या करीब 15 लाख है। वहीं यदि भारत की ही बात करें तो ये संख्या 1.20 लाख से अधिक है।
लांसेट की रिपोर्ट बताती है 1 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच ही 1134000 बच्चे इस महामारी की वजह से अनाथ हुए। इस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 25500 बच्चों ने अपने मां को खोया जबकि 90751 ने अपने पिता को इस बीमारी से खोया है। वहीं अन्यों ने दोनों को ही खोया है। पूरी दुनिया में ये आंकड़े चिंता की वजह बने हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि जो बच्चे इस महामारी में अनाथ हुए हैं उनके लिए आगे की राह कैसी होगी। उनको कौन संभालेगा और उनका पालन पोषण कैसे होगा।
भारत की ही बात करें तो देश के कई राज्यों ने इस बात की घोषणा की है कि जो बच्चे इस महामारी में अनाथ हुए हैं उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। केंद्र सरकार ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों का 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा देने का फैसला किया है। इसका प्रीमियम पीएम केयर्स फंड से भरा जाएगा। सरकार इन बच्चों के 18 वर्ष के होने तक इसका खर्च उठाएगी। ये बीमा आयुष्मान भारत योजना के तहत होगा। केंद्र सरकार की तरफ से किए गए एलान में कहा गया है कि 18 वर्ष तक के जो बच्चे अनाथ हुए हैं उन्हें हर माह आर्थिक मदद भी दी जाएगी। इतना ही नहीं 23 वर्ष की उम्र का होने पर इन बच्चों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि भी दी जाएगी।
गौरतलब है कि बच्चों के सामने आने वाली इस समस्या के समाधान के तौर पर 29 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने केयर्स फार चिल्ड्रन स्कीम की शुरुआत की थी। इसका मकसद मुख्यतौर पर उन बच्चों की मदद करना था जो इस महामारी में अनाथ हुए हैं। केंद्र सरकार ने इसके जरिए इन बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी को खुद उठाने का फैसला लिया है। राज्य सरकारों की बात करें तो विभिन्न राज्यों की सरकारों ने अपने यहां पर महामारी से अनाथ हुए बच्चों के लिए विभिन्न घोषणाएं की हैं।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो यहां पर इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और विवाह तक का खर्च सरकार उठाएगी। ऐसे बच्चों की आनलाइन पढ़ाई के लिए इन्हें लैपटाप और टेबलेट भी दिया जाएगा। इसके अलावा हर बच्चे को आर्थिक मदद के तौर पर हर माह चार हजार रुपये प्रतिमाह देने का एलान भी राज्य सरकार ने किया है। ऐसे बच्चे जिनकी उम्र दस वर्ष से कम है और जिनके कोई गार्जियन नहीं हैं उन्हें राज्य के बाल सरंक्षण गृह में रखा जाएगा। महामारी से अनाथ ही बालिकाओं की शादी पर सरकार की तरफ से उन्हें 1.10 लाख रुपये तक दिए जाएंगे।