CDS ने सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों में सुधार का समर्थन किया, भारत के रक्षा निर्यात में 700 फीसद की वृद्धि
जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) ने देश के सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (पीएसयू) और आयुध फैक्ट्रियों का नवीकरण करने की अपील की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने देश के सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (पीएसयू) और आयुध फैक्ट्रियों का नवीकरण करने की बुधवार को अपील की। इसका उद्देश्य इनकी कार्य संस्कृति को बेहतर करना और गुणवत्ता को बढ़ाना है।
रक्षा निर्यात पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए सीडीएस ने भारत के रक्षा व्यय के वितरण को भविष्य में बेहतर करने के लिए इस पर 'सावधानी पूर्वक गौर करने' का भी समर्थन करते हुए कहा कि संसाधनों के उपयुक्त उपयोग के लिए व्यय का यथार्थवादी विश्लेषण अवश्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को 'प्रतिबंधों की धमकी' या अपनी सैन्य जरूरत के लिए किसी खास राष्ट्र पर निर्भर रहने से भी बाहर निकलना चाहिए।
प्रतिबंधों का सामना करने वाले देशों से उपकरणों की खरीद में शामिल मुश्किलों की ओर इशारा करते हुए यह बात कही। भारत ने अक्टूबर 2018 में वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 की पांच इकाई खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर (लगभग 37 हजार करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने अमेरिकी ट्रंप प्रशासन की चेतावनी की परवाह नहीं करते हुए ऐसा किया था।
जनरल रावत ने कहा कि सैन्य साजो सामान के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों के जरिये घरेलू उद्योग के तेज गति से वृद्धि प्रारंभ करने का मंच तैयार हो गया है। हमें अपनी आयुध फैक्टि्रयों और अन्य रक्षा पीएसयू के आधुनिकीकरण, उनकी कार्य संस्कृति और गुणवत्ता नियंत्रण के संदर्भ में नवीकरण करने की जरूरत है।
जनरल रावत ने कहा कि हमारे सैन्य बेड़े में ऐसे पुराने साजो सामान का भी एक हिस्सा है जिसे आने वाले दशकों में आधुनिकीकरण योजना के तहत लाना होगा। इन्हें कुछ नये पुर्जे लगा कर उन देशों को निर्यात किया जा सकता है जिन्हें अपनी रक्षा के लिए इस तरह की चीजों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह 2016-17 में 1500 करोड़ रुपये था जो 2018-19 में बढ़ कर 10,745 हो गया। उन्होंने कहा, 'भारत विश्व में रक्षा के मद में सर्वाधिक व्यय करने के मामले में तीसरे स्थान पर है। वक्त आ गया है कि हम अपने रक्षा व्यय के वितरण पर गौर करें। हमें अपने व्यय का यथार्थवादी विश्लेषण करना होगा।'